पहले एशेज टेस्ट के बाद पोंटिंग और माइक गेटिंग आमने-सामने
ग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच खेले गए एशेज सीरीज के पहले टेस्ट मैच में अंपायरिंग पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. अंपायर जोएल विल्सन और अलीम डार का प्रदर्शन चर्चा में है. कहा जा रहा है कि इस मैच में खराब अंपायरिंग की गई.
नई दिल्ली:
इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच खेले गए एशेज सीरीज के पहले टेस्ट मैच में अंपायरिंग पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. अंपायर जोएल विल्सन और अलीम डार का प्रदर्शन चर्चा में है. कहा जा रहा है कि इस मैच में खराब अंपायरिंग की गई. मामले में अब आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक गेटिंग आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल हालिया एजबेस्टन टेस्ट के 20 फैसलों की समीक्षा की गई. अंपायर विल्सन के लिए ये टेस्ट खराब प्रदर्शन वाला रहा. ऐसे में न्यूट्रल अंपायरों की व्यवस्था पर फिर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
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रिकी पोंटिंग ने इस मामले में क्रिकेट आस्ट्रेलिया की वेबसाइट से कहा कि लोग कह सकते हैं कि जैसी तकनीक अब हमारे पास है, ये अधिक मायने नहीं रखता. लेकिन ये अच्छा नजारा नहीं होता, जब साफ तौर पर दिखने वाले गलत फैसले सामने आते हैं. श्रेष्ठ अंपायर सभी बड़े टूर्नामेंट से बाहर दिखाई दे सकते हैं. ये उन्हें जल्दी रिटायरमेंट के लिए मजबूर कर सकता है.
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उधर, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक गैटिंग कहते हैं कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के पास सात एलीट अंपायर हैं, लेकिन आप उन्हें एशेज में नहीं खड़ा कर सकते. अगर आपके पास श्रेष्ठ अंपायर हैं तो क्या आप उन्हें इस्तेमाल करने में समर्थ हो पा रहे हैं? आपको होना चाहिए. इसलिए अब हम ये बहस कर रहे हैं. गेटिंग ने कहा कि वह समझते है कि अब अंपायरों को टीवी पर अपनी गलतियां देखने के लिए तकनीक और उपकरण मौजूद हैं. इससे उनके पास अपने प्रदर्शन को सुधारने की काफी संभावना है. वो प्रैक्टिस कर सकते हैं, दोबारा सोच-समझ सकते हैं कि उन्होंने क्या और क्यों किया.
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गैटिंग ने कहा कि हमारे पास कुछ शानदार अंपायर हैं. अफसोस कि उस शख्स (अंपायर विल्सन) के लिए आखिरी टेस्ट मैच बहुत बुरा गेम रहा. या यूं कहें कि दोनों के लिए ऐसा रहा. अंपायरिंग की टीचिंग अब काफी अधिक है. उपकरण बेहतर हो रहे हैं. जब आप बीच में होते हैं, अगर आपने गेम खेला है तो आप बहुत शोर के बीच भी बैट पैड की बारीकी को समझ सकते हैं. यदि आपने गेम नहीं खेला, तो कभी-कभी यह ज्यादा मुश्किल होता है.
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गौरतलब है कि टेस्ट क्रिकेट में पहले घरेलू अंपायर होते थे. 25 साल पहले इसे बदलकर टेस्ट क्रिकेट में न्यूट्रल अंपायर को लाया गया. मतलब जिन दो देशों में मैच हो रहा है, उनकी जगह दूसरे देशों के अंपायरों को मैच की निगरानी का जिम्मा दिया गया. यह व्यवस्था इसलिए की गई, क्योंकि घरेलू अंपायरों के फैसलों में पक्षपात की शिकायतें आने लगी थीं. अक्सर ऐसी बातें सामने आती हैं कि अच्छे अंपायरों पर तटस्थता के लिए भरोसा किया जाए. जब एशेज टेस्ट सीरीज में साइमन टफेल और डेविड शेफर्ड जैसे उच्च कोटि के अंपायर नहीं खड़े होते हैं तो ऐसे सुझाव आते हैं कि श्रेष्ठ अंपायरों को ही मौका दिया जाए चाहे उनके देश की टीमें ही क्यों ना खेल रही हों.
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