Parakram Diwas 2023: शौर्य दिवस पर जानें नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कुछ खास बातों को
शौर्य दिवस पर सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के 21 अनाम द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं पर कर दिया. इसके साथ ही नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के एक मॉडल का भी अनावरण किया गया.
highlights
- पीएम नरेंद्र मोदी ने अंडमान-निकोबार के रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा
- 1978 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में तत्कालीन राष्ट्रपति एन संजीव रेड्डी द्वारा नेताजी के चित्र का अनावरण
- 23 जनवरी 1897 को कटक में जन्मे नेताजी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
नई दिल्ली:
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) मनाया जाता है. इस साल बोस की 126वीं जयंती है, जिन्हें प्यार से 'नेताजी' के नाम से जाना जाता है. इस शौर्य दिवस (Parakram Diwas 2023) पर आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अंडमान और निकोबार (Andaman and Nicobar Islands) के 21 अनाम द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र (Paramvir Puraskar) पुरस्कार विजेताओं पर कर दिया. इसके साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के एक मॉडल का भी सोमवार को अनावरण किया गया. जानते हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानने लायक दस बातें...
- 'दिल्ली चलो' जैसे लोकप्रिय नारे देने वाले इस करिश्माई नेता का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक तत्कालीन बंगाल संभाग के ओडिशा में हुआ था.
- उनके आकर्षक उद्घोष 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीयों को देशभक्ति से भर दिया था.
- जाने-माने वकील जानकीनाथ और प्रभावती से जन्मे बोस उनके 14 बच्चों में 9वीं संतान थे, जिनमें 8 बेटे और 6 बेटियां थीं.
- राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण 1916 में अपने निलंबन तक उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में पढ़ाई की. बाद में उन्होंने 1919 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से स्नातक किया.
- भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने उन्हें इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय भेजा था.
यह भी पढ़ेंः Parakram Diwas 2023: नेताजी सुभाष चंद्र बोस से ऐसे जुड़े रहे नरेंद्र मोदी... युवा कार्यकर्ता से पीएम बनने तक
- 1920 में परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बोस ने एक साल बाद यानी अप्रैल 1921 में इस्तीफा दे दिया. अपनी मातृभूमि में राष्ट्रवादी उथल-पुथल की खबरों के बाद इस्तीफा दिया था और भारत वापस आ गए थे.
- भारत आने पर बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन समय के साथ महात्मा गांधी से वैचारिक टकराव के चलते वह एक धड़े के प्रिय नेता बन गए. नेताजी महात्मा गांधी की अहिंसा वाले दृष्टिकोण से कतई सहमत नहीं थे.
- 1938 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने, लेकिन पुनः चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने के बावजूद एक साल बाद इस्तीफा दे दिया.
- 21 अक्टूबर 1943 को बोस ने 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया और बाद में जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की शुरुआत की.
- ताइवान में एक विमान दुर्घटना के बाद 18 अगस्त 1945 को वह लापता हो गए. दुर्घटना की जांच पर गठित तीन जांच आयोगों में से दो ने दावा किया कि दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जबकि एक ने कहा कि त्रासदी के बाद भी जीवित थे.
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