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ED ने बढ़ाया सोनिया-राहुल का संकट, National Herald Case की पूरी Detail

कांग्रेस के दोनों प्रवक्ताओं ने जोर देकर कहा कि जब भी ईडी चाहेगा गांधी परिवार जांच में शामिल होगा. ...हम उनका सामना करेंगे.  हम लड़ेंगे... हम जीतेंगे... हम झुकेंगे नहीं... हम नहीं डरेंगे.

Updated on: 03 Jun 2022, 05:13 PM

highlights

  • गांधी परिवार के दो नेताओं को ईडी के समन के बाद सियासत तेज
  • जमानत पर चल रहे सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ
  • फिलहाल यह मामला राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है

नई दिल्ली:

बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस ( National Herald Case) में प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate) ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ( Congres MP Rahul Gandhi) को दूसरा समन भेजा है. ईडी ने उन्हें 13 जून तक पेश होने के लिए कहा है. इससे पहले उन्हें दो जून को तलब किया था. विदेश में होने की वजह से वह पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश नहीं हो पाए थे और इसके लिए समय मांगा था. ईडी ने इसी मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष  सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi) को भी नोटिस जारी किया हुआ है. ईडी ने उन्हें आठ जून को पूछताछ के लिए तलब किया है.

कांग्रेस के सबसे सीनियर गांधी परिवार के दो नेताओं को ईडी के समन के बाद सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह समन भाजपा की ओर से विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए बदले की राजनीति है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस मामले को 2015 में बंद कर दिया गया था. दोनों प्रवक्ताओं ने जोर देकर कहा कि जब भी ईडी चाहेगा गांधी परिवार जांच में शामिल होगा. ...हम उनका सामना करेंगे.  हम लड़ेंगे... हम जीतेंगे... हम झुकेंगे नहीं... हम नहीं डरेंगे.

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला

नेशनल हेराल्ड नाम के न्यूज पेपर का पब्लिकेशन द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी करती है. यह केस उस कंपनी को खरीदने के दौरान वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप से जुड़ा है. AJL को गांधी परिवार की कंपनी यंग इंडिया ने 2010 में खरीदा था.  रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1937 में द एसोसिएट जर्नल्स नाम से बनी कंपनी के मूल निवेशकों में पंडित जवाहरलाल नेहरू समेत पांच हजार स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे. यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशन करती थी. धीरे-धीरे कंपनी घाटे में चली गई. कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये का कर्ज देकर कंपनी को घाटे की उबारने की कोशिश की. हालांकि इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी.

2010 में बनी यंग इंडिया कंपनी

इस दौरान साल 2010 में यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाई गई. इसमें 76 प्रतिशत शेयर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी के पास और 12-12 प्रतिशत शेयर कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा और नेता आस्कर फर्नांडिस के पास था. इनके अलावा केस में सुमन दुबे और सैम पित्रोदा भी आरोपित बनाए गए. दो आरोपित मोतीलाल वोरा और आस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है. कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का कर्ज इसी कंपनी यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिया. कर्ज चुकाने में पूरी तरह से असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने अपना सारा शेयर यंग इंडिया के नाम कर दिया. इसके बदले में यंग इंडिया ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए.

AJL के शेयर धारकों के आरोप

साल 2010 में कंपनी के कुल 1057 शेयरधारक थे. AJL के कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि कंपनी के शेयर यंग इंडिया लिमिटेड के नाम ट्रांसफर करने से पहले उन्हें किसी तरह का कोई नोटिस नहीं दिया गया. इसके अलावा उनके पूर्वजों के नाम AJL के शेयर बिना उनकी सहमति के साल 2010 में यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया. AJL के शेयरधारकों में देश के पूर्व कानून मंत्री और वकील शांति भूषण, इलाहाबाद हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू समेत कई गणमान्य लोग शामिल थे.

अदालती कार्यवाही की टाइमलाइन

01 नवंबर 2012 - सुब्रमण्यम स्वामी ने पटियाला हाउस कोर्ट में केस दर्ज कराया.
26 जून 2014 - महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों के खिलाफ समन जारी किया.
01 अगस्त 2014 - प्रवर्तन निदेशालय ने  इस मामले में संज्ञान लिया. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया.
18 सितंबर 2015 - प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड केस को जांच के लिए फिर से खोल दिया.
19 दिसंबर 2015 - दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों को नियमित जमानत दी.
साल 2016 - सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को रद करने से इनकार किया, लेकिन सभी आरोपितों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी.
09 सितंबर 2018 - दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी.
04 दिसंबर 2018 - सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर कहा कि आयकर विभाग की जांच जारी रहेगी.
साल 2019 -  ईडी ने केस से जुड़ी 64 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली थीं.
15 अप्रैल 2019 - सुप्रीम कोर्ट ने AJL पर कार्रवाई से रोक लगा दी.

10 साल बाद सोनिया-राहुल से पूछताछ

अब लगभग 10 साल बाद इस मामले में जमानत पर चल रहे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ होगी. इस केस में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है. ईडी के मुताबिक आगे की कार्रवाई तय करने के लिए इस मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ जरूरी है. फिलहाल यह मामला राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है.

हेराल्ड हाउस का कारोबारी इस्तेमाल

केंद्र सरकार ने साल 2018 में 56 साल पुराने पट्टे को खत्म कर हेराल्ड हाउस कैंपस से AJL को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया कि इसमें अब छपाई से जुड़ी गतिविधियां नहीं होती हैं. साल 1962 में छपाई के कार्य के लिए यह एग्रीमेंट हुआ था. L&DO चाहता था कि 15 नवंबर 2018 तक AJL बिल्डिंग उनके हवाले कर दे. इस बेदखली के आदेश में दावा किया गया कि अब कैंपस का इस्तेमाल पूरी तरह से कारोबारी मकसद के लिए किया जा रहा था. हालांकि, 15 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने Eviction of Unauthorised Occupants Act 1971 के अनुसार AJL के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

कांग्रेस की दलील क्या है

कांग्रेस प्रवक्ता और मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी के मुताबिक, नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशन कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)  पर कर्ज हो गया था. इसके बाद कांग्रेस ने कई दशकों में उसमें 90 करोड़ रुपए का निवेश किया. एजेएल ने अपने कर्ज को इक्विटी यानी हिस्सेदारी में बदल दिया. इसके बाद 90 करोड़ रुपए की इक्विटी एक नई कंपनी यंग इंडिया को सौंपी गई. AJLने वही किया जो देश-विदेश की हर कंपनी करती है.

सिंघवी ने कहा कि यंग इंडिया में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कुछ और नेताओं के शेयर थे. यंग इंडिया को गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड किया गया. इस लेनदेन के जरिए AJL कर्ज मुक्त कंपनी बन गई. एक भी संपत्ति और धन का हस्तांतरण नहीं हुआ. फिर मनी लॉन्ड्रिंग कहां है? पैसा कहां है? कोई पैसा स्थानांतरित नहीं किया गया था. इसके बावजूद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया.

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प्रवर्तन निदेशालय क्या है

प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate) एक मल्टी डिस्पिलिनरी ( बहुअनुशासनिक ) संगठन है. इसका गठन खासकर आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए किया गया है. इस निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी. विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में इस प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था. आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी अनियमितताओं के विभिन्न स्तर के मामलों को देखने के लिए समय-समय पर ईडी को और अधिक सक्षम बनाया गया.