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84 दिनों तक लड़ी गई कारगिल की जंग, जानें कब क्या हुआ, कैसे बढ़े भारतीय जवानों के कदम

कारगिल युद्ध की शुरुआत वैसे तो 3 मई को ही हो गई थी। इसी दिन भारतीय सेना को घुसपैठ की सूचना मिली थी।

Updated on: 25 Jul 2023, 08:49 PM

highlights

  • कारगिल में पाकिस्तान को मिली शिकस्त
  • 84 दिनों तक चली जंग
  • भारतीय वीरों के पराक्रम की गाथा

नई दिल्ली:

Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल युद्ध में भारतीय सेना का लोहा पूरी दुनिया ने माना था। 24 साल पहले बर्फीली और दुर्गम पहाड़ियों में हुई इस जंग में भारतीय जवानों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था। इस युद्ध में भारत के सामने पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे। हाड़ जमा देने वाली ठंड में 84 दिनों तक ये लड़ाई लड़ी गई थी। जिस इलाके में ये युद्ध लड़ा गया था वहां सर्दियों में पारा माइनस 50 डिग्री तक चला जाता है। लड़ाई 26 जुलाई 1999 को खत्म हुई थी। जीत को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को 'विजय दिवस' के तौर पर मनाया जाता है।

सियाचिन पर थी पाकिस्तान की नजर

पाकिस्तान की नजर सियाचिन पर थी और वो यहां काबिज होना चाहता था। पाकिस्तान ने इसी को ध्यान में रखते हुए कारगिल की चोटियों पर कब्जा करना चाहा था लेकिन भारतीय जवानों के पराक्रम के सामने उसकी एक ना चली। शुरुआत में कारगिल की जंग भारत के लिए मुश्किल साबित हो रही थी, लेकिन बोफोर्स गन यहां गेम चेंजर साबित हुई थी।  

युद्ध की पूरी टाइमलाइन

कारगिल युद्ध की शुरुआत वैसे तो 3 मई को ही हो गई थी। इसी दिन भारतीय सेना को घुसपैठ की सूचना मिली थी। भारत-पाकिस्तान के बीच असल युद्ध 60 दिनों तक चला, जिसे 'ऑपरेशन विजय' के नाम से जाना जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि जंग में कब-कब क्या-क्या हुआ। 

3 मई 1999: कारगिल के पहाड़ी क्षेत्र में स्थानीय चरवाहों ने कई हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को देखा। चरवाहों ने इसकी सूचना भारतीय सेना को दी। 

5 मई 1999: कारगिल के इलाके में घुसपैठ की खबर मिलने के बाद भारतीय सेना एक्टिव हुई और जवानों को पेट्रोलिंग पर भेजा गया। पेट्रोलिंग पार्टी जब घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची तो पाकिस्तान सेना ने पांच जवानों को शहीद कर दिया। शहीद जवानों के शवों के साथ बर्बरता भी की गई।

9 मई 1999: पाकिस्तानी सैनिक कारगिल में मजबूत स्थिति में पहुंच चुके थे। कारगिल में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाते हुए पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलाबारी की।

10 मई 1999: पाकिस्तानी सेना के जवानों ने LOC के पार द्रास और काकसर सेक्टरों सहित जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में घुसपैठ की।

10 मई 1999: इस दिन दोपहर के समय भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' की शुरुआत की। घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए कश्मीर घाटी से अधिक संख्या में सैनिकों को कारगिल जिले में ले जाया गया।

26 मई 1999: भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई के तहत हवाई हमले शुरू किए। इन हवाई हमलों से भारत को जंग में खासी बढ़त मिली।  

1 जून 1999: पाकिस्तानी सेना ने हमलों की रफ्तार को तेज कर दिया और नेशनल हाइवे-1 को निशाना बनाया। फ्रांस और अमेरिका ने भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।

5 जून 1999: भारत ने दस्तावेज जारी किए जो पाकिस्तानी सेना हमले में हाथ होने का खुलासा कर रहे थे।

9 जून 1999: भारतीय सेना के जवानों ने पराक्रम दिखाते हुए जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख पॉजिशन्स पर दोबारा कब्जा किया.

13 जून 1999: पाकिस्तान को एक बड़ा झटका तब लगा जब भारतीय सेना ने तोलोलिंग चोटी पर फिर से कब्जा कर लिया।

20 जून 1999: भारतीय सेना ने टाइगर हिल के पास अहम इलाकों पर फिर से कब्जा कर लिया।

4 जुलाई 1999: भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा किया।

5 जुलाई 1999: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद कारगिल से पाकिस्तानी सेना के वापस लौटने का ऐलान कर दिया।

12 जुलाई 1999: पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया गया।

14 जुलाई 1999: भारतीय प्रधानमंत्री ने सेना के 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक पूरा होने का ऐलान किया।

26 जुलाई 1999: पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाले सभी पॉजिशन्स को फिर से अपने कब्जे में लेकर भारत ने जंग जीत ली। कारगिल युद्ध 2 महीने तीन हफ्ते से अधिक वक्त तक चला।

मातृभूमि की रक्षा करते हुए 500 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। 18 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई और बर्फीले पहाड़ों पर लड़ा गया ये युद्ध भारतीय सेनाओं के पराक्रम की गाथा कहता है।