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राष्ट्रपति भवन के बाद इस नए बंगले में रहेंगे रामनाथ कोविंद! पूरी कहानी

साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम पूरा होने के बाद 25 जुलाई से रामनाथ कोविंद यहां रहने आएंगे. तीन दशक से 12, जनपथ बंगला लोक जनशक्ति पार्टी ( LJP) के सुप्रीमो और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) का सरकारी आवास रहा था.

Updated on: 02 Jul 2022, 05:26 PM

highlights

  • राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के जीतने की पूरी संभावना है
  • 25 जुलाई को रामनाथ कोविंद नए आवास में शिफ्ट हो जाएंगे
  • पूर्व राष्ट्रपति का पूरा ख्याल रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति चुनाव 2022 ( President Election 2022) पूरा होने के बाद 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे. राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के जीतने की पूरी संभावना है. इसके बाद मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( Ramnath Kovind) लुटियंस जोन में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के पड़ोसी बन जाएंगे. राष्ट्रपति भवन ( President House) के बाद उनका नया आवास 12, जनपथ ( 12, Janpath) बंगला हो सकता है. 

रिपोर्ट्स में शहरी एवं आवास मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि उनके लिए यह चर्चित बंगला अलॉट किया जा चुका है. साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम पूरा होने के बाद 25 जुलाई से रामनाथ कोविंद यहां रहने आएंगे. तीन दशक से 12, जनपथ बंगला लोक जनशक्ति पार्टी ( LJP) के सुप्रीमो और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) का सरकारी आवास रहा था. उनके निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान इस बंगले को अपने पिता रामविलास पासवान का स्मारक बनवाना चाह रहे थे. काफी विवाद के बाद यह बंगला 30 मार्च 2022 को उनसे खाली करवाया गया था. 

सुर्खियों में रहा है 12, जनपथ बंगला

चिराग पासवान से खाली करवाने के बाद 12, जनपथ बंगला रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए आवंटित किया गया था. हालांकि वह इस बंगले में शिफ्ट नहीं हुए थे. जानकारी के मुताबिक बंगले की साफ सफाई के साथ ही उसके कुछ हिस्सों में पेंटिंग का काम भी जारी है. 15 जुलाई तक इन सारे काम को पूरा कर लिए जाने का लक्ष्य तय किया गया है. काम पूरा होने के बाद 25 जुलाई को रामनाथ कोविंद अपने परिवार के साथ यहां शिफ्ट हो जाएंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां शिफ्ट होने के बाद कोविंद अपने गांव परखवां (कानपुर देहात) भी जा सकते हैं.

कुल देवी का दर्शन करने जाएंगे गांव

रिपोर्ट्स के मुताबिक रामनाथ कोविंद अपने गांव जाकर अपनी कुल देवी के दर्शन करेंगे. इसके बाद करीब 15-20 दिनों के लिए वह अपने गांव में लोगों के बीच रहेंगे. उनके गांव के लोगों की ओर से उनके लिए एक खास कार्यक्रम की योजना बनाने की चर्चा भी है. हालांकि, फिलहाल यह कार्यक्रम पूरी तरह कन्फर्म नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति के रूप में नए सरकारी आवास में शिफ्ट होने के बाद उनके कार्यक्रम को नए सिरे से भी तैयार किया जा सकता है. आइए, जानते हैं कि राष्ट्रपति भवन और हाईप्रोफाइल प्रोटोकॉल को छोड़ने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के लिए क्या सरकारी व्यवस्था की जाती है.

पूर्व राष्ट्रपति का ख्याल रखता है केंद्र

पूर्व राष्ट्रपति का पूरा ख्याल रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है. भले ही सरकार में कोई भी गठबंधन रहे. पूर्व राष्ट्रपति की सुविधाएं थोड़े-बहुत अंतर के साथ लगभग पहले की तरह ही होती हैं. उनके बंगले पर हमेशा चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था रहती है. मेडिकल टीम नियमित अंतराल पर उनके स्वास्थ्य की जांच करती और उनका विशेष ध्यान रखती है. उनकी यात्रा के लिए फ्लाइट की व्यवस्था रहती है. उनके बंगले में पहले की तरह विशेष किचन का इंतजाम होता है. मनपसंद भोजन बनाने के लिए बेहतरीन शेफ मौजूद रहते हैं.

पूर्व राष्ट्रपति के भी होते हैं प्रोटोकॉल

पूर्व राष्ट्रपति की लॉन्ड्री से लेकर साफ-सफाई तक का खर्च केंद्र सरकार के जिम्मे होता है. उनके लिए बेहतरीन ड्राइवर और विशेष गाड़ी हमेशा तैनात रहती है. पूर्व राष्ट्रपति कभी अकेले नहीं चलते. सुरक्षा के लिहाज से आगे-पीछे चलने के लिए एस्कॉर्ट गाड़ियां हमेशा तैनात रहती हैं. बतौर पूर्व राष्ट्रपति भी उनके प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है. इसके अलावा कई तरह के तय भत्ते भी उन्हें मिलते हैं. रामनाथ कोविंद सांसद भी रहे हैं. उन्हें उस पद के हिसाब से भी पेंशन मिलती रहेगी.

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दिल्ली में रहे और वापस लौटे पूर्व राष्ट्रपति

देश कई राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद राजधानी दिल्ली में ही रहे. वहीं, कई राष्ट्रपति पदमुक्त होने के बाद अपने गृह राज्य वापस चले गए. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1962 में अपने गृह राज्य वापस चले गए थे. बतौर पूर्व राष्ट्रपति वह पटना में कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में भी रहे. देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1967 में, चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरी 1974 में और देश के नौंवे राष्ट्रपति 1992 में पदमुक्त होने के बाद चेन्नई लौट गए थे. नीलम संजीव रेड्डी भी 1982 में रिटायर होकर बेंगलुरु लौट गए थे.

इससे अलग राजधानी दिल्ली में रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति के नामों में 1997 में पदमुक्त होने वाले डॉ. शंकरदयाल शर्मा, 2002 में पदमुक्त होने वाले के आर नारायणन, 2007 में पदमुक्त होने वाले डॉ. एपीजे कलाम और 2017 में पदमुक्त होने वाले प्रणब मुखर्जी का नाम प्रमुखता से शामिल है.