ISRO ने किया क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण, 400 टन के रॉकेट को अंतरिक्ष में छोड़ने में सक्षम
क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण शनिवार को तमिलनाडु के तिरनेल्वेल्ली जिले के महेन्द्रगिरी में ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। यह 400 टन के रॉकेट को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
नई दिल्ली:
एक साथ अंतरिक्ष में 104 सैटेलाइट्स को लॉन्च कर पूरी दुनिया को हैरान कर चुके भारतीय अंतरिक्ष संस्थान (इसरो) एक और कारनामा किया है। ISRO ने देश में बने सबसे बड़े क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है।
इस शक्तिशाली इंजन का परीक्षण शनिवार को तमिलनाडु के तिरनेल्वेल्ली जिले के महेन्द्रगिरी में ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। इससे पहले सभी प्रणालियों की पुष्टि करने के लिए सी 25 स्टेज ने 25 जनवरी 2017 को 50 सेकेंड के लिए सफल उड़ान भरी थी। ISRO ने बताया कि स्टेज विकास के पहले 3 सीई 20 इंजन छोड़े गए थे जिनमें से दो इंजनों का समुद्र तल में परीक्षण किया गया और तीसरे इंजन को काफी उंचाई में 25 सेकेंड के लिए उड़ाया गया।
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क्यों खास है क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण
क्रायोजेनिक इंजन के सफल परीक्षण को मील का पत्थर माना जा रहा है। ISRO का यह इंजन जीएसएलवी मार्क तृतीय 400 टन श्रेणी के रॉकेट को अंतरिक्ष में छोड़ने में सक्षम है। यह इंजन जीएसएलवी मार्क द्वितीय की जगह लेगा, जिसको 2001 में लॉन्च किया गया था।
क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन के तौर पर लिक्विड हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। इस ईंधन को माइनस 253 डिग्री सेंटीग्रेड में रखा जाता है। सबसे खास बात ये कि रूस, अमेरिका, फ्रास, चीन, जापान के बाद भारत इस अनोखे इंजन वाले क्लब में शामिल हो गया है।
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