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हिंद की सरहदों पर अब परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर, पाकिस्तान-चीन होंगे नतमस्तक

इन हथियारों के जुड़ जाने से भारत हिंद महासागर (Indian Ocean) सहित देश की सीमाओं की सुरक्षा को और भी पुख्ता कर सकेंगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लाइट वेट लड़ाकु विमानों को देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए युद्ध पोतों पर तैनात किया जाता है.

Updated on: 29 Nov 2019, 08:09 PM

highlights

  • DRDO ने लाइट वेट कॉम्बैट विमानों को किया उन्नत. 
  • अब देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा हुई और भी चाक चौबंद. 
  • डीआरडीओ जल्द ही के-4 न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का भी परीक्षण करने जा रहा है.

नई दिल्‍ली:

अब भारत (India) पर बुरी नजर रखने वाले पड़ोसी देशों (Pakistan-China) की खैर नहीं. भारत अब हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने में और भी ज्यादा सक्षम हो गया है. Defence Research and Development organisation (DRDO) डीआरडीओ ने अपने नेवल वैसल्स पर तैनात लाइटवेट लडाकु विमानों (Light Combat Aircraft ) की क्षमता में इजाफा किया है. भारत के डीआरडीओ ने हर लाइटवेट लडाकु विमानों में दो दूर तक मार करने की क्षमता वाली Beyond visual range missile और दो Counter Measures missiles जोड़ दिया है.
इन हथियारों के जुड़ जाने से भारत हिंद महासागर (Indian Ocean) सहित देश की सीमाओं की सुरक्षा को और भी पुख्ता कर सकेंगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लाइट वेट लड़ाकु विमानों को देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए युद्ध पोतों पर तैनात किया जाता है. 

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बता दें कि डीआरडीओ जल्द ही के-4 न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइल का भी परीक्षण करने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत रविवार को K-4 Missile का परीक्षण करने जा रहा है.
इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने जानकारी दी है कि सबमरीन से लॉन्च होने वाली इस मिसाइल K-4 (Missle K4) का परीक्षण होगा. इस परीक्षण की सफलता तकनीक के साथ-साथ मौसम पर भी आधारित होगी.

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत अगर K-4 न्यूक्लियर मिसाइल का सफल परीक्षण कर लेता है तो वह अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस के बाद छठा ऐसा देश होगा जिसके पास वॉटर न्यूक्लियर मिसाइल होगी. भारत की K-4 न्यूक्लियर मिसाइल करीब 3500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है.

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बता दें कि भारत की के-4 मिसाइल अरिहंत क्लास की परमाणु पनडुब्बी में भी उपयोग की जा सकेगी. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की ओर से तैयार की गई इस मिसाइल को डेवलपमेंट ट्रायल के तौर पर पानी के नीचे पांटून से टेस्ट किया जाएगा.