Republic Day 2019: 11 सत्रों 165 दिनों और सैकड़ों बैठकों के बाद संविधान पर लगी थी मुहर
200 सालों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रहने के बाद 15 अगस्त 1947 को हमें गोरों (अंग्रेजों) से आजादी मिली. आजादी मिलने के बाद हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों और नीति निर्माताओं ने तय किया कि अब भारत अपने संविधान और कानून के मुताबिक चलेगा न कि अंग्रेजी के बनाए काले कानून से
नई दिल्ली:
200 सालों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रहने के बाद 15 अगस्त 1947 को हमें गोरों (अंग्रेजों) से आजादी मिली. आजादी मिलने के बाद हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों और नीति निर्माताओं ने तय किया कि अब भारत अपने संविधान और कानून के मुताबिक चलेगा न कि अंग्रेजी के बनाए काले कानून से. इस 26 जनवरी को जब हमारा देश 70 वां गणतंत्र दिवस मनाएगा तो ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर हमारा देश भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रित देश बना कैसे ? कैसे भारत के लोकतंत्र की आधार शिला रखी गई? हमारा संविधान कैसे तैयार हुआ और आखिर संविधान सभा की कितनी बैठकों और सत्रों के बाद हमें हमारा आईऩ यानि की संविधान मिला.
देश में संविधान के निर्माण के लिए सबसे पहले संविधान सभा का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष देश के पहले राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद थे. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हॉल, जिसे अब संसद भवन के सेंट्रल हॉल के नाम से जाना जाता है, में हुई थी. इस अवसर पर सेंट्रल हॉल को भव्यता से सजाया गया था, आजादी के उत्साह और आनन्द से अभिभूत संविधान सभा के सदस्य अध्यक्ष सामने गोलाई पंक्तियों में बैठे हुए थे. संविधान सभा की पहली पंक्ति में जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे.बी.कृपलानी, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे कृष्ण महताब, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ बी. आर. अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली शोभायमान थे. नौ महिलाओं समेत दो सौ सात सदस्य उपस्थित थे. उद्घाटन सत्र की शुरुआत सुबह 11.00 बजे आचार्य कृपलानी द्वारा संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद सिन्हा का परिचय से आरंभ हुआ था. संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुई जिसके बाद हमारे देश का आईऩ (संविधान) बनकर तैयार हो सका.
संविधान सभा के 11 सत्र
पहला सत्र - 9-23 दिसंबर, 1946
दूसरा सत्र - 20-25 जनवरी, 1947
तीसरा सत्र - 28 अप्रैल - 2 मई, 1947
चौथा सत्र - 14-31 जुलाई, 1947
पांचवां सत्र - 14-30 अगस्त, 1947
छठा सत्र - 27 जनवरी, 1948
सातवां सत्र - 4 नवंबर, 1948 - 8 जनवरी, 1949
आठवां सत्र - 16 मई-16 जून, 1949
नौवां सत्र - 30 जुलाई-18 सितंबर, 1949
दसवां सत्र - 6-17 अक्टूबर, 1949
ग्यारहवां सत्र - 14-26 नवंबर, 1949
दो साल 11 महीने और 17 दिन में तैयार हुआ हमारा संविधान
संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारुप तैयार करने के ऐतिहासिक काम को लगभग तीन सालों (दो साल, ग्यारह महीने और सत्रह दिन) में पूरा किया. इस अवधि के दौरान ग्यारह सत्र आयोजित किए जो कुल 165 दिनों तक चले. इनमें से 114 दिन संवधिान के प्रारुप पर विचार-विमर्श में बीत गए. संविधान सभा का संघटन केबिनेट मिशन के द्वारा अनुशंसित योजना के आधार पर हुआ था जिसमें सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुना गया था.
संविधान सभा के सदस्यों का कुछ इस तरह हुआ था चुनाव
292 सदस्य प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से सदस्य निर्वाचित हुए; 93 सदस्यों ने भारतीय शाही रियासतों का प्रतिनिधित्व किया जबकि चार सदस्यों ने मुख्य आयुक्त प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया. इस प्रकार सभा के कुल सदस्य 389 हुए. 3 जून, 1947 की माउन्टबेटेन योजना के परिणामस्वरूप विभाजन के बाद पाकिस्तान के लिए एक अलग संविधान सभा का गठन हुआ और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधियों की संविधान सभा से सदस्यता समाप्त हो गई. इसके बाद सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई थी. 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उद्देश्य संकल्प उपस्थित किया
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी