Arya Samaj History: कौन थे आर्य समाज के संस्थापक, जानें कैसे और कब रखी गयी नींव
Arya Samaj History: इस समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज को वेदों के माध्यम से पुनर्जागरूक करना था. आर्य समाज ने वेदों को आधार मानकर हिन्दू धर्म के अनुसार समाज को सुधारने का कार्य किया.
नई दिल्ली :
Arya Samaj History: आर्य समाज भारतीय समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलन रहा है जिसकी स्थापना १८७५ में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा की गई थी. इस समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज को वेदों के माध्यम से पुनर्जागरूक करना था. आर्य समाज ने वेदों को आधार मानकर हिन्दू धर्म के अनुसार समाज को सुधारने का कार्य किया. इस समाज का मुख्य ध्येय था "कृतज्ञ भूवः" यानी "सभी को दान और समाज में समर्थ बनाना". आर्य समाज ने समाज में शिक्षा, लड़कियों की शिक्षा, स्त्री सम्मान, विवाह में दाहिने का प्रण, अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई, और वेदों की शिक्षा को प्रमुख धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के रूप में स्थापित किया. स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी और उन्होंने 'सत्यार्थ प्रकाश' नामक पुस्तक लिखी, जिसमें वेदों की महत्ता और उनके विचारों को विस्तार से व्याख्या की गई थी. आर्य समाज ने भारतीय समाज में जाति प्रथा, बलात्कार, विधवा पुनर्विवाह, लड़कियों की शिक्षा आदि के खिलाफ सामाजिक सुधार के लिए कई आंदोलन चलाए. इससे भारतीय समाज में समाजिक परिवर्तन आया और भारतीय समाज में जागरूकता फैली. आज भी आर्य समाज के गुरुकुल, पाठशाला, विद्यालय, विश्वविद्यालय, और अस्पताल भारतीय समाज में शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में अपने योगदान को जारी रख रहे हैं.
आर्य समाज की स्थापना: स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में बंबई (वर्तमान में मुंबई) में आर्य समाज की नींव रखी. उन्होंने 1877 में लाहौर में आर्य समाज का दूसरा शाखा स्थापित की. उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में यात्रा की और लोगों को आर्य समाज के सिद्धांतों से अवगत कराया.
आर्य समाज के उद्देश्य: आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य वेदों की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाना और हिंदू धर्म में मौजूद सामाजिक बुराइयों को दूर करना था. इसके अलावा-
- वेदों की वापसी और वेदों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार.
- मूर्तिपूजा और अंधविश्वासों का उन्मूलन.
- जाति व्यवस्था और सामाजिक बुराइयों का विरोध.
- महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण.
- शिक्षा का प्रसार और सामाजिक सुधार.
आर्य समाज के प्रभाव: आर्य समाज ने भारतीय समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला. इसने हिंदू धर्म में सुधार लाने और सामाजिक बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आर्य समाज ने महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण, जाति व्यवस्था के उन्मूलन और शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान: स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान देशभक्त, समाज सुधारक और धार्मिक गुरु थे. उन्होंने भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके योगदानों में शामिल हैं
- वेदों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार.
- मूर्तिपूजा और अंधविश्वासों का विरोध.
- जाति व्यवस्था और सामाजिक बुराइयों का विरोध.
- महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण.
- शिक्षा का प्रसार और सामाजिक सुधार.
- स्वामी दयानंद सरस्वती 1883 में राजस्थान के अजमेर में निधन हो गया.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Shani Jayanti 2024: ये 4 राशियां हैं शनिदेव को बहुत प्रिय, शनि जयंती से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन!
-
Aaj Ka Panchang 6 May 2024: क्या है 6 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल
-
Love Rashifal 6 May 2024: इन राशियों का आज पार्टनर से हो सकता है झगड़ा, जानें अपनी राशि का हाल
-
Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन करें ये चमत्कारी उपाय, शिव जी हो जाएंगे बेहद प्रसन्न!