Naming Ceremony: हिन्दू धर्म में क्या है नामकरण संस्कार का महत्व, जानें इसकी सही पूजा विधि
Naming Ceremony: हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार बहुत जरूरी माना जाता है. ये 16 संस्कारों में से एक होता है. अगर आपके घर में भी नन्हा मेहमान आया है तो जान लें कि उसका नामकरण कैसे करना चाहिए.
नई दिल्ली :
Naming Ceremony: नामकरण संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसमें नवजात शिशु को नाम दिया जाता है. यह शिशु के जीवन का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है. नामकरण संस्कार एक प्रमुख हिन्दू संस्कार है जो नवजात शिशु को उसका नाम देने का आयोजन करता है. इस संस्कार में, शिशु के माता-पिता उसका नाम चुनते हैं और उसे धारण कराते हैं. यह संस्कार हिन्दू समाज में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे आमतौर पर बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताहों के भीतर ही किया जाता है. नामकरण संस्कार का महत्व उसके नाम के माध्यम से उसकी व्यक्तित्व, स्वाभाविकता और सामाजिक पहचान को प्रकट करने में होता है. नाम एक व्यक्ति की पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और यह उसके व्यक्तित्व और स्थान को परिभाषित करता है. इस संस्कार में, नवजात शिशु के नाम का चयन विशेष शुभ मुहूर्त पर किया जाता है और उसे प्रस्तुत किया जाता है. यह नाम शिशु के जीवन में उसकी पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बन जाता है और उसे समाज में स्वागत किया जाता है.
हिंदू धर्म में नामकरण का महत्व: नामकरण संस्कार शिशु को एक सामाजिक पहचान प्रदान करता है. नाम का चुनाव शिशु के व्यक्तित्व और भविष्य को प्रभावित करने के लिए माना जाता है. नामकरण संस्कार शिशु के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है. यह संस्कार माता-पिता और परिवार के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उन्हें शिशु के साथ एक विशेष बंधन बनाने का अवसर प्रदान करता है.
नामकरण पूजा विधि:
नामकरण संस्कार आमतौर पर शिशु के जन्म के 11वें, 12वें या 13वें दिन किया जाता है.
इस संस्कार के लिए एक पंडित को बुलाया जाता है जो पूजा विधि का संचालन करता है.
पूजा में हवन, मंत्रोच्चार और नामकरण का मुहूर्त शामिल होता है.
नामकरण के बाद शिशु को मिठाई खिलाई जाती है और उसे आशीर्वाद दिया जाता है.
नाम का चुनाव करते समय शिशु के जन्म नक्षत्र और राशि का ध्यान रखा जाना चाहिए. नाम का अर्थ सकारात्मक और शुभ होना चाहिए. नाम का उच्चारण आसान होना चाहिए और नाम का चुनाव माता-पिता और परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से किया जाना चाहिए. नामकरण संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसका शिशु के जीवन में विशेष महत्व होता है. यह संस्कार शिशु को एक सामाजिक पहचान प्रदान करता है, उसके व्यक्तित्व और भविष्य को प्रभावित करता है, और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
नामकरण संस्कार एक प्रमुख हिन्दू संस्कार है जो नवजात शिशु के नाम को प्रस्तुत करता है और उसे समाज में स्वागत करता है. यह संस्कार शिशु के जीवन में एक अहम और प्रभावी पड़ाव होता है जो उसकी स्थानिक पहचान और समाज में सम्मान को संकेत करता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Also Read: Mantra Therapy: मंत्रों में है आपार शक्ति, जानें किस मंत्र जाप से कौन-सा रोग होगा दूर
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Vindu Dara Singh Birthday: मुस्लिम लड़की से शादी करके पछताए विंदू दारा सिंह, विवादों में रही पर्सनल लाइफ
-
Heeramandi: सपने में आकर डराते थे भंसाली, हीरामंडी के उस्ताद इंद्रेश मलिक ने क्यों कही ये बात
-
Sonali Bendre On South Cinema: बहुत मुश्किल है साउथ फिल्मों में काम करना, सोनाली बेंद्रे ने क्यों कही ये बात?
धर्म-कर्म
-
Shani Jayanti 2024: ये 4 राशियां हैं शनिदेव को बहुत प्रिय, शनि जयंती से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन!
-
Aaj Ka Panchang 6 May 2024: क्या है 6 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल
-
Love Rashifal 6 May 2024: इन राशियों का आज पार्टनर से हो सकता है झगड़ा, जानें अपनी राशि का हाल
-
Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन करें ये चमत्कारी उपाय, शिव जी हो जाएंगे बेहद प्रसन्न!