Somvati Amavasya 2020: आज है सोमवती अमावस्या, जानें महत्व और पूजा-विधि
आज सावन के सोमवार के साथ ही सोमवती अमावस्या (Somvati Amavsya 2020) भी मनाई जा रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व होता है लेकिन अफसोस कि इस बार कोरोना के कारण ऐसे मुमकिन नहीं हो पाएगा. लेकिन कहते हैं कि अगपर मन में श्रद्धाभाव हो
नई दिल्ली:
आज सावन के सोमवार के साथ ही सोमवती अमावस्या (Somvati Amavsya 2020) भी मनाई जा रही है.इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व होता है लेकिन अफसोस कि इस बार कोरोना के कारण ऐसे मुमकिन नहीं हो पाएगा. लेकिन कहते हैं कि अगपर मन में श्रद्धाभाव हो तो कहीं भी पूजा-अर्चना की जा सकती हैं. आप सब भी इसबार अपने घरों में ही स्नान कर के भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. अगर घर में गंगाजल मौजूद है तो उसकी कुछ बूंदें भी अपने पर छिड़कर गंगा स्नान की कमी को पूरी कर सकते हैं. गंगा की एक-एक बूंद भी पवित्र होती है तो स्नान नहीं भी कर पाए तो अफसोस न जताए.
सावन में पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं. यह हरियाली अमावस्या के नाम से पहचानी जाती है. श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है.
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सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इस दिन भगवान शिवजी की आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है और नदी स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है.
वहीं, इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत कर विधि- विधान से पूजा भी करती है. इसके अलावा स्त्रियां पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं. वहीं, इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है.
पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है. जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं और शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का पुण्य ले सकते है. बताया जाता है कि पांडवों के संपूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई. वह सोमवती अमावस्या के लिए तरसते ही रह गए थे.
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पूजा विधि
आज के स्नान करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सुहागन महिलाओं को माता पार्वती की पूजा करने के बाद सुहाग सामग्री बांटनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन जो भी महिला सुहाग सबंधी सामग्री जैसे हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटती है उसके सुहाग की आयु लंबी होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है. हरियाली अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और प्रसाद में मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.
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