Navratri Akhand Jyoti niyam: 9 दिन नवरात्रि में कैसे जगाएं अखंड ज्योति, जानें क्या है नियम
Navratri Akhand Jyoti niyam: 15 अक्टूर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है 24 अक्टूबर को दशहरा है, इस दौरान अखंड ज्योति जगाने से जीवन का हर कष्ट दूर होता है और जीवन में चारों ओर से खुशियों का बरिश होती है.
नई दिल्ली:
Navratri Akhand Jyoti niyam: अखंड ज्योति का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है. खासकर नवरात्रि और दीपावली के खास मौके पर अखंड ज्योति जगायी जाती है. अगर आप माता दूर्गा के नौ दिन के नवरात्रि रख रहे हैं और घर में पूजा करते हैं जौ बीजते हैं तो अखंड ज्योति घर के मंदिर में जगाने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. अखंड ज्योति कैसे जलाते हैं और इस जलाने के बाद किन नियमों का पालन करना चाहिए इस बारे में हमारे शास्त्रों में भी बताया गया है. तो शारदीय नवरात्रों में आप अखंड ज्योति जगाने से पहले ये नियम जान लें.
अखंड ज्योत के क्या नियम होते हैं?
अखंड ज्योति का दीपक - लोगों को लगता है कि अखंड ज्योति सिर्फ पीतल के दीप पात्र में ही जलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। पीतल को शुद्ध माना जाता है, इसलिए पूजा में इससे बने पात्रों को प्रयोग किया जाता है। अगर आप पीतल का दीया नहीं जला सकते, तो आपको जानना चाहिए कि मिट्टी का दीप-पात्र भी उतना ही फलदायी है। मिट्टी भी शुद्ध मानी जाती है, इसलिए पूजा सामग्री रखने या दीपक के रूप में मिट्टी के पात्रों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
अगर मिट्टी का दीपक जला रहे हैं, तो बस इतना ध्यान रखें कि जलाने से 24 घंटे पहले इसे साफ जल से भरे किसी बरतन में पानी में पूरी तरह डुबोकर रखें। दरअसल भट्टी से निकले हुए मिट्टी के बरतन सोख्ते की तरह काम करते हैं। इसलिए अगर पानी में भिगोये बिना आप इसे इस्तेमाल करेंगे तो जितना तेल जलने में इस्तेमाल होगा उतना ही यह पात्र सोख लेगा। इसलिए 24 घंटे भिगोने के बाद उसे पानी से निकालें और और किसी साफ कपड़े से पोंछकर सुखा लें।
अखंड ज्योति की बाती - अखंड ज्योति में जलाने वाला दीया कभी बुझना नहीं चाहिए, इसलिए इसकी बाती विशेष होती है। यह रक्षासूत्र से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र लें ये पूजा में प्रयोग किया जानेवाला कच्चा सूत होता है. इसे लेकर सावधानी से बाती की तरह दीये के बीचोंबीच रखें. दीपक को बुझने से बचाने के लिए आप दूसरी बाती को पहली बाती में जोड़ दीजिये. अगर आपकी अखंड ज्योति बुझ गयी है तो फिर से बाती उसी में डालकर दीप ना जलाए क्योंकि यह ज्योति खंडित मानी जाएगी. इसलिए जलते दीपक में ही दूसरी बाती जोड़ दे तो आपकी ज्योति खंडित नहीं होगी.
अखंड ज्योति का घी - किसी भी पूजा में दीपक के लिए शुद्ध घी का प्रयोग किया जाना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर घी ना जला सकें तो तिल या सरसों का तेल भी जलाया जा सकता है. बस इतना ध्यान रखें कि इनमें अन्य तेलों की मिलावट ना हो और ये पूरी तरह शुद्ध हों.
कहां रखें अखंड ज्योति - ऐसी मान्यता है कि अगर घी दीपक जलाया जाए, तो यह देवी की दाईं ओर रखा जाना चाहिए, लेकिन अगर दीपक तेल का है तो इसे बाईं ओर रखें.
अखंड ज्योति का यह दीया कभी खाली जमीन पर नहीं रखा जाता. इसलिए चाहे आप चौकी या पटरे पर इसे जला रहे हों या देवी के सामने जमीन पर रख रहे हों, दीये को रखने के लिए अष्टदल जरुर बनाएं. यह अष्टदल आप गुलाल या रंगे हुए चावलों से बना सकते हैं. पीले या लाल चावलों से भी अष्टदल बनाया जा सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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