Mahashivratri 2023 : शिव-पार्वती का अनोखा विवाह, जब हैरान हो गई थीं मां पार्वती
आज महाशिवरात्रि है. आज हर भक्त अपने अराध्य की भक्ति में लीन है.
नई दिल्ली :
Mahashivratri 2023 : आज महाशिवरात्रि है. आज हर भक्त अपने अराध्य की भक्ति में लीन है. ऐसी मान्यता है कि अगर आपकी कोई भी इच्छा है, जो आप पूरी करना चाहते हैं, तो आज का दिन बेहद शुभ है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और मां पार्वती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शादी के बंधन में बंध गए थे. इस दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में भी प्रकट हुए थे, जिसके बारे में न तो ब्रह्मा जी को पता चला और ना ही भगवान विष्णु को पता चला. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह से जुड़ी रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे, जब मां पार्वती खुद अपनी ही विवाह में हैरान हो गई थीं.
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भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़े रोचक तथ्य
1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़ी बातें पुराणो में सुनने को मिलती है. भगवान शिव ने सबसे पहले मां सती से विवाह किया था. मां सती के पिता दक्ष इस विवाह के पक्ष में नहीं थे, लेकिन राजा दक्ष ने पिता ब्रह्मा के कहने पर अपनी बेटी सती का विवाह भगवान शिव से करा दिया था. एक बार की बात है, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव को यज्ञ में न बुलाकर उनका अपमान किया था. जिससे मां सती नाराज हो गई और उन्होंने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर ली थी.
2. तब इस घटना के बाद भगवान शिव घर तपस्या पर लीन थे. वहीं, दूसरी तरफ मां सती ने पर्वराज हिमालय के यहां मां पार्वती के रूप में जन्म लिया था. उस समय दैत्य तारकासुर नामक असुर का आतंक हुआ करता था. उसे वरदान था कि इसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र के द्वारा ही किया जाएगा. एक बार की बात है कि भगवान शिव तपस्या में पूरी तरह लीन थे, जिसके लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव के विवाह की योजना बनाकर कामदेव को भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा था, लेकिन कामदेव खुद ही भस्म हो गए.
3. उसके बाद सभी देवी-देवताओं के अनुरोध करने के बाद भगवान शिव मां पार्वती से विवाह करने के लिए मान गए. जब भगवान शिव बारात लेकर मां पार्वती के घर पहुंचे, तो उनके बारात में दानव, दैत्य, देवता, पशु, कीड़े-मकोड़े, भूत-पिशाच बाराती बनकर मां पार्वती के घर पहुंचे थे.
4. ऐसी अनोखी बारात को देखकर मां पार्वती की मां डर गई थी और उन्होंने भगवान शिव को अपनी बेटी सौंपने से इंका कर दी थी. जब मां पार्वती ने यह सब देखा, तो उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया कि हमारे रीति-रिवाजों के साथ तैयार होकर आएं. उसके बाद भगवान शिव दैविय जल ने स्नान कर फूलों से तैयार होकर मां पार्वती के घर बारात लेकर आए. तब जाकर उनका विवाह संपन्न हुआ.
5. विवाह के समय जब वर-वधू की वंशावली की घोषणा होती है, तो विवाह में मां पार्वती की वंशावली का खूब अच्छे से बखानन किया गया. लेकिन जब भगवान शिव की बारी आई, तब सभी लोग शांत हो गए. तब परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए इस बात को संभालते हुए देव ऋषि नारद जी ने भगवान शिव के गुणों का बखूबी बखान किया.
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