Vasudev Dwadashi 2022 Significance: आज रखा जाएगा वासुदेव द्वादशी का व्रत, जानें इसका विशेष महत्व
आषाढ़ मास और चातुर्मास के आरंभ में वासुदेव द्वादशी का व्रत (Vasudev Dwadashi 2022 vrat) किया जाता है. वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी (Vasudev Dwadashi 2022 significance) की पूजा भी की जाती है.
नई दिल्ली:
वासुदेव द्वादशी का व्रत (Vasudev Dwadashi 2022) हर साल आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. ये दिन श्री कृष्ण जी को समर्पित होता है. इस दिन का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है. ये व्रत देवशयनी एकादशी के 1 दिन पश्चात मनाया जाता है. आषाढ़ मास और चातुर्मास के आरंभ में वासुदेव द्वादशी का व्रत (Vasudev Dwadashi 2022 vrat) किया जाता है. वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. जो भी लोग इस दिन का व्रत करते हैं. उन्हें मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस व्रत के साथ चातुर्मास (Chaturmas) की शुरुआत हो जाती है. चलिए, इस दिन के महत्व के बारे में जानते हैं.
यह भी पढ़े : Sarkari Naukari Ke Upay: अब सरकारी नौकरी दिलाएंगे सूर्य देव, बस मेहनत के साथ साथ करना होगा इनमें से कोई काम
वासुदेव द्वादशी 2022 महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन का उपवास रखने का विशेष महत्व माना जाता है. जो भक्त भगवान कृष्ण के साथ मां लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं. उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही उसके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है और उसके सुख-समृद्धि, सौभाग्य की वृद्धि होती है. भगवान भक्तों के ऊपर प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना की पूर्ति का वरदान देते हैं. भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं. निःसंतान महिलाएं ये व्रत रखते हुए भगवान कृष्ण की पूजा करती तो उन्हें सुंदर और स्वस्थ संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. इसी दिन से जया पार्वती व्रत की भी शुरूआत होती है. इसलिए, इस व्रत का महत्व और भी (Vasudev Dwadashi 2022 importance) बढ़ जाता है.
यह भी पढ़े : Vasudev Dwadashi 2022 Puja Vidhi: वासुदेव द्वादशी के दिन अपनाएंगे ये पूजा विधि, भक्तों की हर इच्छा होगा पूरी
क्या है वासुदेव द्वादशी 2022
जब सूर्य से चंद्र के बीच का अंतर 133 डिग्री से 144 डिग्री तक होता है तब तक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और 313 डिग्री से 324 डिग्री की समाप्ति तक वासुदेव द्वादशी रहती है. इस 12 वे चंद्र तिथि के स्वामी भगवान विष्णु हैं. द्वादशी तिथि का खास नाम यशोवाला भी है. अगर सोमवार या शुक्रवार के दिन या बुधवार के दिन द्वादशी तिथि पड़े तो यह बहुत ही सिद्धदायी होती है. अगर रविवार के दिन द्वादशी तिथि पड़ रही है तो ककरच दग्ध योग का निर्माण होने की वजह से यह तिथि मध्यम फल प्रदान देती है. दोनों ही पक्षों की द्वादशी के दिन शिव का वास शुभ स्थिति में होने के कारण इस तिथि के दिन भगवान शिव का पूजन बहुत ही शुभ (Vasudev Dwadashi 2022 tithi) माना जाता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Guru Gochar 2024: आज बृहस्पति देव बनाने जा रहे हैं कुबेर योग, रातोंरात अमीर बन जाएंगे इन 3 राशियों के लोग!
-
Nautapa 2024 Date: कब से शुरू हो रहा है नौतपा, इन नौ दिनों में क्यो पड़ती है भीष्ण गर्मी
-
Aaj Ka Panchang 1 May 2024: क्या है 1 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Satyanarayan Vrat 2024: इस साल कब-कब है सत्यनारायण व्रत, तिथि और शुभ मुहूर्त कर लें नोट