Sunderkand Path Niyam: सुंदरकांड का पाठ करने के जानें जरूरी नियम, शुभ फल होगा प्राप्त
प्रभु श्री राम के परम भक्त भगवान हनुमान (Sunderkand path duration) को अमरता का वरदान प्राप्त है. आठों सिद्धियों और नौ निधियों के दाता की कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ (sunderkand path rules) करने की परंपरा है.
नई दिल्ली:
मंगलवार का दिन हनुमान जी (lord hanuman) को समर्पित होता है. माना जाता है कि इस दिन बजरंगबली की विधि विधान से पूजा करने से सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है. इसके साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. हनुमान जी के पथ पर चलने वालों को कभी भी संकट का सामना नहीं करना पड़ता है. प्रभु श्री राम के परम भक्त भगवान हनुमान (Sunderkand path duration) को अमरता का वरदान प्राप्त है. कहा जाता है कि हनुमान जी ऐसे देवता है जो हमारे बीच धरती पर मौजूद हैं. आठों सिद्धियों और नौ निधियों के दाता की कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है. इससे महाबली हनुमान जल्द प्रसन्न होते हैं. तो, चलिए जानते हैं कि सुंदरकांड का पाठ पूरे दिन में कितनी बार करना चाहिए. साथ ही इस पाठ के नियमों (Benefits Of Sunderkand Path) के बारे में भी जानते हैं.
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कब करें सुंदरकांड का पाठ -
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ मंगलवार और शनिवार को करना बेहद शुभ माना जाता है. इसके अलावा इसे रोजाना (sunderkand path rules) भी किया जा सकता है.
अगर आप सुंदरकांड का पाठ करते हैं, तो इसके लिए सुबह-सुबह 4 से 6 बजे तक यानी कि ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करें. ये करना अत्यधिक फलदाई माना जाता है. वहीं अगर आप सुंदरकांड का पाठ समूह में करते या करवाते हैं, तो कभी भी करवा (sunderkand path ki vidhi) सकते हैं.
सुंदरकांड का पाठ करने के नियम -
पाठ को करते समय प्रतिमा स्थापित करने के बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं. बजरंगबली हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें. इसके साथ ही उन्हें लड्डू का भोग लगाएं. उसके बाद ही सुंदरकांड का पाठ शुरू करें.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सुंदरकांड का पाठ 11, 21, 31, 41 दिन तक कर सकते हैं. इस पाठ को करने के लिए सबसे पहले हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें. बस, इस बात का ध्यान रहे कि हनुमान जी की प्रतिमा ऐसी होनी चाहिए. जिसमें प्रभु श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण की (Sunderkand Path Niyam) तस्वीर हो.
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