Sawan 2022 Rishikesh Neelkanth Mandir History: जब हलाहल विष की जलन से परेशान महादेव हुए वृक्ष के नीचे अंतर्ध्यान
सावन का महीना (sawan 2022) शिव जी के भक्तों के लिए बहुत खास होता है. ऐसे में आज हम आपको ऐसा मंदिर के बारे में बताएंगे जो हिमालय पर्वतों के तल में बसा हुआ है. इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट (rishikesh neelkanth mandir)दूर होते हैं.
नई दिल्ली:
सावन का महीना (sawan 2022) शिव जी के भक्तों के लिए बहुत खास होता है. ये 14 जुलाई से ही शुरू हो चुका है. इस महीने में महादेव की जय-जयकार होती है. इस दौरान शिव जी के भक्त उनका आशीर्वाद लेने के लिए शिव मंदिर जाते हैं. सावन के खास मौके पर हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे. जो हिमालय पर्वतों के तल में बसा हुआ है. इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. साथ ही भगवान शिव (shree neelkanth mahadev temple) का आशीर्वाद भी मिलता है. ये मंदिर ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर (neelkanth mandir) है. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था. तो, चलिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें जानते हैं.
भगवान शिव ने किया विष का पान -
इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा भी है. कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से निकली चीजें देवताओं और असुरों में बंटती गईं लेकिन, तभी हलाहल नाम का विष निकलाइसे न तो देवता चाहते थे और ना ही असुर. ये विष इतना खतरनाक था कि संपूर्ण सृष्टि का विनाश कर सकता था. इस विष की अग्नि से दसों दिशाएं जलने लगी थीं. जिससे संसार में हाहाकार मच गया तभी भगवान शिव ने पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए विष का पान किया. जब भगवान शिव विष का पान कर रहे थे. तब माता पार्वती उनके पीछे ही थीं और उन्होंने उनका गला पकड़ लिया. जिससे विष न तो गले से बाहर निकला (neelkanth mahadev temple history) और न ही शरीर के अंदर गया.
इस तरह नाम पड़ा नीलकंठ महादेव -
माता पार्वती भी पर्वत पर बैठकर भगवान शिव की समाधि का इंतजार करने लगीं. लेकिन, कई वर्षों के बाद भी भगवान शिव समाधि में लीन ही रहे. देवी-देवताओं की प्रार्थना करने के बाद भोलेनाथ ने आंख खोली और कैलाश पर जाने से पहले इस जगह को नीलकंठ महादेव का नाम दिया. इसी वजह से आज भी इस स्थान को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है. जिस वृक्ष के नीचे भगवान शिव समाधि में लीन थे. आज उस जगह पर एक विशालकाय मंदिर है और हर साल लाखों की संख्या में शिव भक्त इस मंदिर (importance of neelkanth mahadev temple) के दर्शन करने के लिए आते हैं.
वृक्ष के नीचे लीन हो गए थे महादेव -
भगवान शिव के गले में विष अटक गया था. जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया था .उसके बाद वे महादेव नीलकंठ कहलाएं. लेकिन, विष की उष्णता से बेचैन भगवान शिव शीतलता की खोज में हिमालय की तरफ बढ़ चले गए और वह मणिकूट पर्वत पर पंकजा और मधुमती नदी की शीतलता को देखते हुए नदियों के संगम पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गए थे. जहां वह समाधि में पूरी तरह लीन हो गए और वर्षों तक समाधि में ही रहे. जिससे माता पार्वती परेशान हो गईं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Vindu Dara Singh Birthday: मुस्लिम लड़की से शादी करके पछताए विंदू दारा सिंह, विवादों में रही पर्सनल लाइफ
-
Heeramandi: सपने में आकर डराते थे भंसाली, हीरामंडी के उस्ताद इंद्रेश मलिक ने क्यों कही ये बात
-
Sonali Bendre On South Cinema: बहुत मुश्किल है साउथ फिल्मों में काम करना, सोनाली बेंद्रे ने क्यों कही ये बात?
धर्म-कर्म
-
Shani Jayanti 2024: ये 4 राशियां हैं शनिदेव को बहुत प्रिय, शनि जयंती से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन!
-
Aaj Ka Panchang 6 May 2024: क्या है 6 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल
-
Love Rashifal 6 May 2024: इन राशियों का आज पार्टनर से हो सकता है झगड़ा, जानें अपनी राशि का हाल
-
Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन करें ये चमत्कारी उपाय, शिव जी हो जाएंगे बेहद प्रसन्न!