Monsoon Prediction Temple: इस मंदिर के आगे मौसम विभाग भी है फेल, बूंद-बूंद देती है मानसून का पता
कानपुर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर (Jagannath Temple) चमत्कारिक स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है. ये मंदिर बरसात से पहले मानसून आने का संकेत देता है. लोगों की आस्था इस मंदिर से इतनी जुड़ी हुई है कि वे दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
नई दिल्ली:
भारत देश में ऐसे कई मंदिर हैं. जो अपने पौराणिक इतिहास (Monsoon Temple) के लिए जाने जाते हैं. देश में विभिन्न शैली के ऐसे मंदिर हैं जो अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर कानपुर (Kanpur) के बेहटा गांव में है. भगवान जगन्नाथ का ये मंदिर अपने चमत्कारिक स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है. ये मंदिर बरसात से पहले मानसून (weather) के आने का संकेत देता है. कानपुर के भीतरगांव विकासखंड से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर भगवान जगन्नाथ के मंदिरों में से एक है. इतना ही नहीं इसकी छत से टपकने वाली बूंदें ये भी बताती हैं कि इस बार बरसात (Monsoon accurate predictions) कैसी रहेगी. लोगों की आस्था भी इस मंदिर से इतनी जुड़ी हुई है कि लोग दर्शन करने के लिए दूर-दूर आते रहते हैं.
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति -
इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है. उसमें भगवान विष्णु के 24 अवतार देखे जा सकते हैं. इन 24 अवतार में कलयुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति (Jagannath temple) स्थापित है.
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क्यों टपकता है पानी?
मंदिर को लेकर कई तरह की रहस्यमयी बातें हैं. मंदिर के बारे में आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि यह मंदिर कितना पुराना है और इसकी छत से पानी कैसे टपकता है और कब बंद हो जाता है. कहा जाता है कि पुरातत्व विभाग के लोग और वैज्ञानिक कई बार यहां आए, लेकिन इस रहस्य का पता लगाने में असफल रहे.
भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिरों में से है एक -
इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के अलावा बलदाऊ और सुभद्रा की मूर्तियां भी लगी हैं. ये मूर्तियां काले रंग के चिकने पत्थरों से बनी हुई हैं. मंदिर के आंगन में भगवान सूर्य और पद्मनाभम की मूर्तियां भी स्थित हैं. स्थानीय निवासी हर साल भगवान जगन्नाथ की यात्रा भी निकालते हैं. जो यहां के लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है.
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यहां सैकड़ों लोग हर रोज भगवान के दर्शन करने आते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं. लोगों का ये भी कहना है कि मंदिर की छत से जितनी बड़ी बूंदें गिरती हैं बारिश भी उतनी ही होती है. सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है मंदिर की छत से पानी टपकना बंद हो जाता है और मंदिर की छत अंदर से सूख जाती है. मंदिर की छत से बिना बारिश पानी टपकना और बारिश में बंद हो जाने वाले रहस्य को आजतक कोई (Temple That Predicts Monsoon) नहीं जान पाया.
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