Kabir Ke Dohe: कबीर के 10 प्रसिद्ध दोहे, जानें उनका अर्थ और समाज पर प्रभाव
Kabir Ke Dohe: कबीर, भारतीय संत और कवि थे, जिन्हें 15वीं और 16वीं सदी के बीच में जन्म मिला था. वे संगीत, संतों के भजन, और धार्मिक उपदेशों के लिए जाने जाते हैं. कबीर का जन्म स्थान और परिवार इतिहास के बारे में सटीक जानकारी अभी भी विवादित है,
नई दिल्ली :
Kabir Ke Dohe: कबीर, भारतीय संत और कवि थे, जिन्हें 15वीं और 16वीं सदी के बीच में जन्म मिला था. वे संगीत, संतों के भजन, और धार्मिक उपदेशों के लिए जाने जाते हैं. कबीर का जन्म स्थान और परिवार इतिहास के बारे में सटीक जानकारी अभी भी विवादित है, लेकिन वे समाज में धर्मिक सुधारक के रूप में माने जाते हैं. कबीर की रचनाएं हिंदी, अवधी, और ब्रजभाषा में हैं, जो उनके समय के सांस्कृतिक और सामाजिक वातावरण का प्रतिबिम्ब करती हैं. उनकी रचनाओं में भक्ति, ज्ञान, और समाज सुधार के सिद्धांतों का प्रमुख स्थान है. उनके दोहे और भजन आज भी लोकप्रिय हैं और उनके द्वारा उपदिष्ट संदेश भक्ति, समाज सेवा, और मानवता के प्रति समर्पण को प्रेरित करते हैं. कबीर एक महान भारतीय संत, कवि और समाज सुधारक थे. उन्हें सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में आदर्श संत के रूप में माना जाता है. कबीर ने अपनी रचनाओं में ज्ञान, भक्ति, समाजिक सुधार, और धार्मिकता के महत्व को उजागर किया. उनकी दोहे, भजन और गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं और उनके द्वारा उपदिष्ट उपदेशों का महत्व आज भी अधिक है. कबीर के उपदेशों में समाज, धर्म और मानवता के प्रति उनकी गहरी आस्था और समर्पण है. उन्होंने भक्ति के माध्यम से समाज में एकता, समरसता और समाधान के सिद्धांत को बढ़ावा दिया.
कबीर दास के प्रेरणादायक दोहे:
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥
अर्थ- जब मैं लोगों की दुर्दशा और बुराई को देखने के लिए निकला, तो मुझे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो अच्छा हो. जब मैंने अपने अंतर्मन की खोज की, तो मैंने किसी भी व्यक्ति को बुरा नहीं पाया. इस दोहे के माध्यम से कबीर दास ने व्यक्तिगत अन्तर्मन की महत्वता और आत्मसमर्पण को बताया है. यह दोहा अपनी प्रेरणादायक संदेश के लिए प्रसिद्ध है, जो हमें स्वयं की आत्मा की महत्वता को समझने के लिए प्रोत्साहित करता है.
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।
अर्थ- जो काम आप कल कर सकते हैं, उन्हें आज करें, और जो काम आप आज कर सकते हैं, उन्हें अब करें. पल में परलय हो जाएगी, यानी कि जीवन में आने वाली अनिश्चितता को ध्यान में रखें, और आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक कदम उठाएं. यह दोहा हमें समय की महत्वता को समझाता है और हमें संघर्ष और अवसरों को सही समय पर उपयोग करने की प्रेरणा देता है.
काम अति भारी करि गहना।
दिन में तेल ना तिल मासा।।
अर्थ- अधिक काम करने से परिणाम में दुःख होता है, जिसे गहना के तुलनात्मक भार के समान देखा जा सकता है. इसलिए, व्यक्ति को अपने सामाजिक, शारीरिक, और मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए समय पर विश्राम और समय समाधान की आवश्यकता है. दिन में तेल ना तिल मासा का अर्थ है कि अधिकतम प्रयत्न करने के बावजूद, अगर समय पर विश्राम नहीं लिया जाता है, तो काम की सफलता के लिए कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होगा.
साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाय॥
अर्थ- हे साईं, आप मुझे इतना ही दें, कि मेरे परिवार में सबका पेट भर जाए. मुझे भी भूखा नहीं रहना चाहिए और साधु को भूखा न जाना चाहिए। इस दोहे में कबीर दास ने साधुता और सेवा के महत्व को बताया है. वे साधु और समाज के लिए यथार्थ सेवा करने के माध्यम से सत्य की खोज में जुटे रहने की प्रेरणा देते हैं.
ज्ञानी के होती सब प्रगति।
होत निर्बल को प्रभु सत्य गति॥
अर्थ- ज्ञानी व्यक्ति के साथ सभी प्रकार की प्रगति होती है। वे समझदार और ज्ञानी होते हैं, इसलिए उन्हें अन्य लोगों से अधिक समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होती है। उसी प्रकार, जो व्यक्ति निर्बल होता है और सत्य की ओर अज्ञानी होता है, उसे प्रभु के मार्ग पर चलने की सहायता मिलती है। इस दोहे में कबीर दास ने ज्ञान की महत्वता और अन्यों के साथ संवाद करने की आवश्यकता को उजागर किया है।
जहां तक जो कर्म करे, ताहि ताहि फल चखे।
कहे कबीर मैं धरि धरि, फल चखा खोए॥
अर्थ- हमें जो कार्य करने का कारण है, उसी तक हमें उस कार्य का फल मिलता है. कबीर दास कहते हैं कि मैंने कर्म किया और फल को खोया, अर्थात् अगर हम किसी कार्य को धर्म से नहीं करते हैं तो उसका फल भी हमें नुकसान ही देता है.
माला तू फूंक मरे, रोसण तूँ पुराय।
देखा काहू को देख में, खुदा ही पहचान॥
अर्थ- जिस प्रकार तू माला को फूंक देता है और रोसण को खाली कर देता है, वैसे ही तू अपने आप को भी निर्दोष समझने का प्रयास करता है. लेकिन मैंने किसी को भी देखा है, वे सब कुछ अपने आप को खुदा मानते हैं. इस दोहे में कबीर दास ने यह बताया है कि हमें खुदा को सबमें पहचानना चाहिए, चाहे वह कोई भी हो.
साधू भजन बिना भगति न होय।
बिनु भगति मोक्ष न होय॥
अर्थ- साधुओं का भजन बिना भक्ति के नहीं होता। भक्ति के बिना मोक्ष नहीं होता. यह दोहा हमें यह बताता है कि भक्ति के बिना ध्यान और समर्पण के बिना हम मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकते.
कबीर गर्व न कीजिए, उदयी हो समाय।
रहु कबीर मिलेगा, अगले जनम नाय॥
अर्थ- हे लोग, कबीर दास के गर्व में न रहें, क्योंकि वह हमेशा समाय हुए और विनम्र रहते हैं. कबीर जी से मिलने का सुनिश्चित है, परंतु यह अगले जन्म में होगा, इसलिए गर्व करने का कोई स्थान नहीं है. इस दोहे में कबीर द्वारा मनुष्य को अपनी अहंकारिता का विचार करने की प्रेरणा दी जाती है, और समग्रता में विनम्रता का महत्व बताया जाता है.
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काकरी लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय॥
अर्थ- गुरु और भगवान दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं, मैं किसके चरणों को पूजूं. परन्तु मैं अपने गुरु की प्राथमिकता करता हूँ, क्योंकि उन्होंने मुझे भगवान की प्राप्ति की राह बताई है. इस दोहे में कबीर दास द्वारा गुरु की महत्वता और उनके मार्गदर्शन की महत्वपूर्णता को उजागर किया गया है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Vindu Dara Singh Birthday: मुस्लिम लड़की से शादी करके पछताए विंदू दारा सिंह, विवादों में रही पर्सनल लाइफ
-
Heeramandi: सपने में आकर डराते थे भंसाली, हीरामंडी के उस्ताद इंद्रेश मलिक ने क्यों कही ये बात
-
Sonali Bendre On South Cinema: बहुत मुश्किल है साउथ फिल्मों में काम करना, सोनाली बेंद्रे ने क्यों कही ये बात?
धर्म-कर्म
-
Shani Jayanti 2024: ये 4 राशियां हैं शनिदेव को बहुत प्रिय, शनि जयंती से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन!
-
Aaj Ka Panchang 6 May 2024: क्या है 6 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल
-
Love Rashifal 6 May 2024: इन राशियों का आज पार्टनर से हो सकता है झगड़ा, जानें अपनी राशि का हाल
-
Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन करें ये चमत्कारी उपाय, शिव जी हो जाएंगे बेहद प्रसन्न!