Jagannath Rath Yatra 2023: जानें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें, जानकर हो जाएंगे हैरान
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह में उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है.
नई दिल्ली :
Jagannath Rath Yatra 2023 : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह में उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है, जो पूरे देशभर पर प्रसिद्ध है. रथयात्रा का आयोजन भारत के अन्य राज्यों और क्षेत्रों में किया जाता है. लेकिन पुरी की भव्य रथयात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से लोग शमिल होते हैं. बता दें, इस साल दिनांक 20 जून को जगन्नाथ रथयात्रा का पर्व मनाया जाएगा. भगवान जगन्नाथ के लिए रथ यात्रा का निर्माण कार्य कई महीने पहले से ही शुरु हो जाता है और रथ बनाने के लिए जिन लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें सोने की कुल्हाड़ी से कट लगाई जाती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा और रथ से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में विस्तार बताएंगे.
ये भी पढ़ें - Shukra gochar 2023 : शुक्र करने जा रहे हैं महागोचर, इन 3 राशि वालों को होगा जबरदस्त लाभ
जानें रथ बनाने के नियम
रथ यात्रा बनाने में दो महीने का समय लगता है. इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. इसे बनाने में सबसे पहला काम लकड़ी को चुनना होता है. रथ के लिए कील या फिर कटी लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. रथ के लिए लकड़ी सीधी और शुद्ध ही होनी चाहिए, जब तक रथ तैयार नहीं हो जाता है, तब तक पूरे 2 महीने के लिए कारीगर वहीं रहते हैं और इन सभी नियमों का पालन करते हैं.
सोने की कुल्हाड़ी से रथ की लकड़ी पर लगाया जाता है कट
जगन्नाथ रथयात्रा बनाने का काम अक्षय तृतीया के दिन से किया जाता है. इसे बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां लाई जाती है. सबसे पहले जंगल में जाकर जिस पेड़ को काटा जाता है, उसकी पूजा की जाती है और पूजा के बाद पेड़ों पर सोने की कुल्हाड़ी से कट लगाई जाती है. इस कुल्हाड़ी को पहले भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा से स्पर्श कराया जाता है. लकड़ी में सोने की कुल्हाड़ी से कट लगाने का काम महाराणा द्वारा किया जाता है.
रथ में इन पेड़ों की लकड़ियों का किया जाता है इस्तेमाल
भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने के लिए नीम और हांसी पेड़ों की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा के एक-एक रथ बनाए जाते हैं, इस तरह से कुल 3 रथ का निर्माण किया जाता है. तीनों रथों का निर्माण में लगभग 884 पेड़ों के 12-12 फीट के तने भी लगते हैं और इससे खंभे बनाए जाते हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs RR Dream11 Prediction : हैदराबाद और राजस्थान के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुने कप्तान
-
SRH vs RR Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी हैदराबाद की पिच
-
T20 World Cup 2024 टीम में नहीं मिला SRH और LSG के एक भी खिलाड़ी को मौका, IPL के इस टीम का दबदबा
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Ganga Dussehra 2024: इस साल गंगा दशहरा पर बन रहा है दुर्लभ योग, इस शुभ मुहूर्त में स्नान करें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीय के दिन करें ये उपाय, चुम्बक की तरह खिंचा चला आएगा धन!
-
May 2024 Panchak: आज से शुरू हुआ है गुरू पंचक, अगले 5 दिन ना करें कोई शुभ काम
-
Love Rashifal 2 May 2024: प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए कैसा रहेगा गुरुवार का दिन, पढ़ें लव राशिफल