IS के ख़ौफ़ के बीच अफ़ग़ानिस्तान के आखिरी हिन्दू कर रहे हैं मंदिर की सेवा
कुछ माह पहले ही अफगानिस्तान में आईएस ने गुरुद्वारे पर हमला कर 27 सिखों की जान ले ली थी. इस घटना के बाद अफगानिस्तान में रह रहे अधिकांश हिंदू-सिख परिवारों ने भारत में आकर शरण ले ली.
नई दिल्ली:
कुछ माह पहले ही अफगानिस्तान में आईएस ने गुरुद्वारे पर हमला कर 27 सिखों की जान ले ली थी. इस घटना के बाद अफगानिस्तान में रह रहे अधिकांश हिंदू-सिख परिवारों ने भारत में आकर शरण ले ली. अब यह दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान में आखिरी हिंदू के रूप में राजा राम बचे हैं. गुरुद्वारे पर हमले के बाद अफगानिस्तान से हिंदू-सिख परिवारों के पलायन के बाद भी राजा राम ने पुश्तैनी मकान नहीं छोड़ा. कहा जा रहा है कि राजा राम वहां इसलिए टिके हैं, ताकि वे अपने पुश्तैनी मंदिर की रक्षा कर सकें.
अफगानिस्तान के गजनी में पैदा हुए राजा राम धर्म से हिंदू हैं पर उनका देश अफगानिस्तान है. बीते कुछ समय में अफगानिस्तान में आईएस ने वहां तेजी से पैर पसारा और सिख-हिंदू परिवारों को देश छोड़कर जाना पड़ा. राजा राम का परिवार भी भारत आ गया है लेकिन राजा राम वहीं टिके हैं. राजा राम की पत्नी और चार बच्चे भारत के शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं. आईएस की धमकियों के बीच अफगानिस्तान की सरकार राजा राम को इस सेवा कार्य के लिए $ 100 का भुगतान कर रही है.
अफगानिस्तान के एक लोकल रेडियो को दिए इंटरव्यू में राजा राम ने कहा, मेरा परिवार अच्छे भविष्य की उम्मीद के साथ भारत गया है पर मैं पुरखों, अपने भगवान को यहां अकेले नहीं छोड़ सकता था. इसलिए रूक गया. अब राम अपने परिवार से सप्ताह में एक दिन फोन पर बात करते हैं और बाकी समय मंदिर की सेवा. वो कहते हैं, यहां अब मुझे डर नहीं है. कई बार कुछ अनजाने लोग धमकाते हैं. राजा राम कहते हैं, सब बुरे नहीं है. ये मेरा देश, मेरा शहर, मेरा मोहल्ला है. यहां रहने वाले भी मेरे जैसे हालातों में जी रहे हैं. फिर चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों ना हों. दिक्कत आईएस के आतंकवाद से है.
अफगानिस्तान पहले हिंदू राष्ट्र था. मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार अफगानिस्तान 7वीं सदी तक भारत का एक हिस्सा था. बाद में यह बौद्ध और अब इस्लामिक देश बन गया है. अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था, जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु जैसे क्षेत्र थे.
महाभारत में धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी, महान संस्कृत व्याकरणाचार्य पाणिनी और गुरु गोरखनाथ अफगानिस्तान के ही रहने वाले थे. कपीश शब्द का उल्लेख आचार्य पाणिनी की किताब में आता है, जो कपीश राज्य का हिस्सा थी. 7वीं सदी में अब्दुर रहमान ने इस इलाके पर 40 हजार सैनिकों के साथ हमला बोला था पर कामयाब नहीं हुआ. इसके बाद और भी इस्लामिक आक्रमण हुए और धीरे-धीरे कई इलाकों पर इनका कब्जा भी हो गया. 964 ईस्वी से 1001 ईस्वी तक वहां जयपाल देव का शासन रहा, जो आखिरी बड़े हिंदू राजा माने जाते हैं और फिर अगले 200 सालों में हिंदू शासन का अंत हो गया.
बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद अफगानिस्तान बौद्धों का गढ़ बन गया. वहां बौद्ध धर्म का अच्छा खासा प्रसार हुआ था. साल 2001 में बामियान में गौतम बुद्ध की दो विशालकाय मूर्तियों को तालिबान के नेता मुल्ला उमर के आदेश पर डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया गया था, जिन्हें 5वीं सदी में बनाया गया था. यानी इनका इतिहास करीब 1500 साल पुराना था.
1980 की शुरुआत में अफगानिस्तान में हिंदू और सिखों की संख्या करीब 2 लाख 20 हजार थी. 1990 के दशक में तालिबान ने कब्जा किया तब तक हिंदुओं की संख्या हजारों में आ चुकी थी. अब वहां गिनती के सिख परिवार बचे हैं, जो हैं वे बस गुरूद्वारों की सेवा के लिए.
राजा राम किसी धर्म पर टिप्पणी नहीं करते. उनका बस इतना ही कहना है कि मेरे बच्चे वतन लौटने का इंतजार कर रहे हैं. धर्म ने कभी देश नहीं बसाए, देश बसते हैं वहां की आवाम से और आवाम हमसे है, हम हैं तो धर्म, समाज, त्यौहार और खुशियां हैं. हालांकि इस बात का दुख है कि मैं बच्चों को यह आश्वासन भी नहीं दे पाता कि मैं उन्हें जल्दी ही वजन बुला लूंगा.
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