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Bhai Dooj 2019: भाई दूज आज, जानिए क्यों मनाया जाता है भाई दूज, साथ ही पढ़िए कथा

Bhai Dooj 2019: इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. इस साल भाई दूज 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

Updated on: 29 Oct 2019, 08:02 AM

नई दिल्ली:

Bhai Dooj 2019: देश में आज भाई दूज का त्यौहार मनाया जा रहा है. दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और इसके बाद पड़ने वाला भैया दूज का खास महत्व है. राखी भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. भैया दूज भाई की लंबी उम्र की कामना का दिन. इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं.

मुहूर्त

द्वितीय तिथि आरंभ समय- 29 अक्टूबर 6.13 am

द्वितीय तिथि समाप्त समय- 03:48 AM on Oct 30, 2019

तिलक मुहूर्त- 13.11 pm - 15.25 PM

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भाई दूज का महत्व

भाई-बहनों का खास त्यौहार भाई दूज (Bhai dooj) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. रक्षाबंधन की ही तरह यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है. हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है. इस दिन यमराज बहनों की ओर से मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. ऐसे में इस भाई दूज के त्योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है.

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भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज को लेकर एक लेकर एक पौराणिक मान्यता भी है. कहते हैं यह वही तिथि है जब यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जाते हैं और उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाता है.इस दिन यम देवता के पूजन का खास महत्व है.इस दिन यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.कथा के अनुसार सूर्य की संज्ञा नामक पत्नी से दो संतानें थी.पुत्र यमराज और पुत्री यमुना, संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाईं, जिसके चलते उन्होंने अपनी छाया का निर्माण कर अपने पुत्र -पुत्री को उसे सौंपकर वहां से चली गई.

छाया को यम और यमुना से कोई लगाव नहीं था, लेकिन भाई और बहन में बहुत प्रेम था. यमुना अपने भाई यमराज से उसके घर आने का निवेदन करती थी, लेकिन यमराज यमुना की बात को टाल जाते थे. एक बर कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे. यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को देखकर बेहद खुश हो गई.यमुना ने अपने भाई का स्वागत-सत्कार कर उन्हें भोजन करवाया.बहन के आदर सत्कार से खुश होकर यमदेव ने यमुना से कुछ मांगने को कहा तभी यमुना ने उनसे हर साल इस तिथि के दिन उनके घर आने का वरदान मांगा.ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन बहन से तिलक करवाता है उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता.

इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है.वैसे तो देश भर की पवित्र नदियों में इस दिन भाई बहन स्नान के लिए पहुंचते हैं.लेकिन मथुरा वृन्दावन में यमुना स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है.इस दिन भारी संख्या में लोग मथुरा पहुंचते है और अपने भाई बहन बहन की लंबी आयु के लिए देवी यमुना से प्रार्थना करते हैं.मान्यता है कि जो भाई बहन इस दिन यमुना में स्नान करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं स्वयं यमदेव पूरी करते हैं.