logo-image

Baisakhi 2024 : बैसाखी का खालसा पंथ से क्या है नाता, जानिए पूरा इतिहास

Baisakhi 2024 : बैसाखी एक सामाजिक उत्सव है जो सिख समुदाय के आदर्शों को समर्थन करता है और उनके बलिदान को स्मरण करता है. यह सिख संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो समृद्धि, एकता और धार्मिकता का संदेश देता है.

Updated on: 13 Apr 2024, 12:11 PM

नई दिल्ली:

Baisakhi 2024 : बैसाखी, जिसे वैशाखी भी कहा जाता है, सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह 13 अप्रैल को मनाया जाता है और खालसा पंथ की स्थापना को याद करता है. 1699 में गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में पांच सिखों को अमृत छकाकर उन्हें खालसा बनाया था. सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इसने खालसा पंथ की स्थापना को चिह्नित किया, जो सिख धर्म की सैन्य और धार्मिक शाखा है. बैसाखी के दिन, सिख गुरुद्वारों में इकट्ठा होते हैं, कीर्तन और अरदास करते हैं, लंगर (सामुदायिक भोजन) ग्रहण करते हैं, और खालसा के पांच मूलभूत सिद्धांतों का स्मरण करते हैं.

केश: बिना कटे हुए बाल

कंघा: लकड़ी का कंघा

कड़ा: लोहे की कड़ा

कच्छा: छोटी पंजाबी धोती

किरपाण: तलवार

बैसाखी का त्योहार सिखों के लिए साहस, बलिदान, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. यह सिख समुदाय के एकजुटता और भाईचारे का भी उत्सव है.  गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन खालसा को खंडे (दोधारी तलवार) का प्रतीक दिया था. पहले पांच खालसा को पंज प्यारे के रूप में जाना जाता है. बैसाखी का त्योहार सिख नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है. बैसाखी न केवल सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, बल्कि यह भारत और विश्व भर में सिख संस्कृति और विरासत का उत्सव भी है.

खंडे की वरदान

गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन पांच खालसा को खंडे (दोधारी तलवार) का प्रतीक दिया था. खालसा को शक्ति, साहस, और न्याय का प्रतीक माना जाता है. 

पंज प्यारे

पहले पांच खालसा को पंज प्यारे के रूप में जाना जाता है. गुरु गोविंद सिंह जी ने उन्हें अमृत छकाकर खालसा बनाया था. पंज प्यारे सिख धर्म में अत्यंत सम्मानित हैं और उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाता है.

नए साल की शुरुआत

बैसाखी का त्योहार सिख नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है. यह नए साल में नए उत्साह और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है. बैसाखी का त्योहार सिखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह खालसा पंथ के गौरवशाली इतिहास और उनके बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है. यह सिख समुदाय के एकजुटता और भाईचारे का भी उत्सव है. त्यौहार सिख संस्कृति और विरासत का प्रदर्शन भी करता है. बैसाखी का त्योहार न केवल सिखों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है. 

यह भी पढ़ें: Baisakhi 2024 Wishes: बैसाखी पर अपने प्रियजन को भेजें ये खास संदेश, रिश्ते में बढ़ेगी गहराई

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)