करतारपुर कॉरीडोर पर श्रेय लेने की होड़, बादल के साथ नाम देखने पर भड़के पंजाब के मंत्री
धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को जोड़ने वाले गलियारे की सड़क के शिलान्यास समारोह के महज तीन घंटे पहले पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा सोमवार को नाराज और परेशान दिखाई दिए
पंजाब:
धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को जोड़ने वाले गलियारे की सड़क के शिलान्यास समारोह के महज तीन घंटे पहले पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा सोमवार को नाराज और परेशान दिखाई दिए. उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की उपस्थिति में होने वाले शिलान्यास समारोह की तैयारी के आखिरी मिनटों में रंधावा को अधिकारियों को गुस्से में इशारा करते हुए और गुस्से से बात करते देखा गया. डेरा बाबा नानक के कांग्रेस विधायक स्पष्ट रूप से परेशान दिखाई दिए और सोमवार को मुख्य मंच की ओर बढ़ने के दौरान उन्हें अधिकारियों पर चिल्लाते देखा गया.
बाद में मंत्री ने एक टीवी चैनल से कहा, 'मैं इस समारोह का बहिष्कार नहीं करूंगा, मैं शिलान्यास पत्थर का ही बहिष्कार करूंगा. मैं अपना नाम और मेरे मंत्रिस्तरीय सहयोगियों का नाम पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल के नाम के साथ नहीं देख सकता.'
रंधावा ने कहा, 'मैं अपने नाम पर एक टेप लगा दूंगा. यह (शिलान्यास का पत्थर) अस्वीकार्य है.'
उन्होंने कहा, 'बादल पिता-पुत्र का करतारपुर गलियारे परियोजना में कोई योगदान नहीं है. उन्होंने 1997 से 2002 तक पंजाब पर शासन किया और बाद में फिर 10 वर्षो (2007-2017) तक शासन किया.'
मंत्री ने कहा, 'क्या वे जब सत्ता में थे, यहां प्रार्थना करने के लिए आए थे? वे केवल श्रेय (करतारपुर गलियारे के लिए) लेने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे (शिरोमणि अकाली दल) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन में हैं.'
रंधावा ने शिलान्यास विवाद के लिए एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिकारियों को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि शिलान्यास के पत्थर पर बादल पिता-पुत्र का नाम देखकर उन्होंने कड़ा ऐतराज जताया था.
उन्होंने कहा कि एनएचएआई अधिकारियों द्वारा बनाया गया शिलान्यास का पत्थर दो बजे (सोमवार को) स्थापित किया गया. रंधावा ने कहा कि समारोह की शुचिता को बरकरार रखा जाना चाहिए था. नींव के पत्थर पर केवल उप राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का नाम अंकित करना चाहिए था.
मंत्री इस बात से भी नाराज हैं कि पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व जिसमें स्थानीय मंत्री और विधायक के रूप में वह खुद शामिल हैं, गुरदासपुर के सांसद सुनील जाखड़ (जो पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष हैं) और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को जानबूझकर समारोह के लिए अनदेखा किया, जबकि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सहित बादल परिवार को पूरी तव्वजो दी गई.
और पढ़ें: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब रोड गलियारे की रखी आधारशिला
रंधावा का गुस्सा उस समय फूटा है जब पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच भारत और पाकिस्तान सरकार द्वारा करतारपुर गलियारा परियोजना को दी गई मंजूरी का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है.
केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने (शिरोमणि अकाली दल जिसका हिस्सा है) 22 नवंबर को पंजाब में करतारपुर गलियारे से जुड़े परियोजना को मंजूरी दी थी.
शिलान्यास समारोह को 26 नवंबर (बुधवार) को करने का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया ताकि पाकिस्तान में 28 नवंबर (बुधवार) को वास्तविक करतारपुर गलियारे की आधारशिला पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा रखे जाने से पहले यह समारोह यहां सुनिश्चित किया जा सके.
पंजाब में कांग्रेस सरकार इस सप्ताह यहां अपना समारोह आयोजित करने जा रही थी लेकिन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के समारोह का हिस्सा बनने का फैसला किया.
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