अस्पताल में पैदा हुआ लड़का, मरने के बाद बदल गया जेंडर, जानिए क्या है पूरा माजरा
Hajipur Government Hospital New Born Baby Case: अस्पताल में बच्चों की हेराफेरी की यूं तो आपने बहुत कहानियां और खबरें देखीं और पढ़ी होंगी, लेकिन हम आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं उसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे.
highlights
- बिहार: हाजीपुर के सरकारी अस्पताल में बच्चे की हेराफेरी
- जन्म के 4 दिन बाद लड़का से लड़की बन गया बच्चा
- प्रशासन ने जांच के लिए गठित की 3 सदस्यीय टीम
पटना:
Hajipur Government Hospital New Born Baby Case: अस्पताल में बच्चों की हेराफेरी की यूं तो आपने बहुत कहानियां और खबरें देखीं और पढ़ी होंगी, लेकिन हम आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं उसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे. मामला बिहार के हाजीपुर स्थित सरकारी अस्पताल का. यहां एक परिवार रास्ते में बच्चा पैदा होने के बाद जच्चा-बच्चा के साथ पहुंचा और दोनों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. तीन दिन तक बच्चे का इलाज चलता रहा, लेकिन तीन बाद परिजनों को बच्चे की मौत की खबर दी गई. इसके बाद परिजनों को जो शव सौंपा गया, वह एक बच्ची की थी. इसे देखते ही परिजन भड़क गए और हंगामा खड़ा कर दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच के लिए तीन डॉक्टरों की टीम बनाई गई है. जो पूरे केस की तफ्तीश कर रही है.
बिहार के हाजीपुर का एक सरकारी अस्पताल इन दिनों सुर्खियों में है. इस अस्पताल के सुर्खियों में रहने की वजह कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि यहां पर करिश्मा है. करिश्मा ऐसा जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, करिश्मा के सदर अस्पताल में लड़के को लड़की बनाने का जादुई खेल बहुत चालाकी के साथ खेला गया है. बच्चे परिजनों का आरोप है कि जीवित नवजात (लड़के) को इलाज के लिए सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया गया था. चार दिनों तक उसका एक लड़के के तौर पर इलाज किया जाता रहा. चौथे दिन परिजनों को बच्चे की मौत सूचना दी गई. इसके बाद जब परिजनों को नवजात का शव थमाया गया तो वह एक लड़के की जगह लड़की का शव था. लिहाजा, शव देखकर परिजन भड़क गए और जमकर अस्पताल में हंगामा किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएस डॉ. एसके वर्मा ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है.
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खबरों के मुतबिक, 14 अप्रैल को राजापकड़ थाना क्षेत्र के रहने वाले मुहमम्द यूसुफ अपनी बहू को डिलीवरी के लिए एक निजी अस्पताल में जा रहे थे. इसी बीच रास्ते में ही बच्चे का जन्म हो गया. जिसके बाद बच्चों को लेकर सभी सदर अस्पताल पहुंचे जहां बच्चे को कमजोर बताकर इलाज के लिए एसएनसीयू में भर्ती कर लिया गया. तीन दिनों तक बच्चे के परिजन लगातार बच्चे से मिलते रहे. यहां तक की एंट्री रजिस्टर से लेकर पर्चे तक पर बच्चे का लिंग मेल लिखा गया है, लेकिन चौथे दिन सदर अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की ओर से बताया गया कि बच्चे की हालत नाजुक है और इसके लगभग डेढ़ घंटे बाद बच्चे की मौत की खबर दी गई, लेकिन जब बच्चे का शव सौंपा गया तो तीन रातों में ही बच्चा लड़के से लड़की बन चुका था. बच्चा की हेराफेरी की घटना के बाद मृत बच्चे की दादी कुलसुन खातून ने बताया कि उनके सामने ही गाड़ी में लड़का जन्म लिया था. जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तीन दिन तक यहां उसका इलाज चलता रहा, लेकिन चौथे दिन मौत की खबर दी गई. इसके बाद जब बच्चे का शव मांगा गया तो बच्ची का शव दे दिया गया. इस मामले में जब डीएस डॉ. एसके वर्मा ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है. जांच के लिए लिए तीन डॉक्टरों की टीम का गठन कर दिया गया है.
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