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Ambani Family Wedding: जामनगर अंबानी परिवार की शादी के लिए तैयार, कभी पोलैंड से था गहरा नाता

जामनगर की पहचान बांधनी कला, जरी कढ़ाई, और ऑयल रिफाइनरी के लिए जाना जाता है. वहीं जामनगर की पहचान सिर्फ इतना ही नहीं है. एक समय था जब जामनगर को दुनिया भर में अपनी मानवता के लिए लोगों की जुबान पर था.

Updated on: 29 Feb 2024, 07:50 PM

नई दिल्ली:

Ambani Family Wedding: देश के सबसे बड़े बिजनसमैन में से एक अंबानी परिवार में खुशियां का माहौल है. मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मार्चेंट की शादी का मौका है. इसकी प्री वेंडिंग के लिए गुजरात का जमनगर सज-धज कर तैयार हो गया है. इस कार्यक्रम में सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी मेहमान शामिल हो रहे हैं. इसमें सलमान खान से लेकर रिहाना तक शामिल हो रहे हैं. वहीं इस कार्यक्रम की कई फोटोज और वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. 

जामनगर की पहचान बांधनी कला, जरी कढ़ाई, और ऑयल रिफाइनरी के लिए जाना जाता है. वहीं जामनगर की पहचान सिर्फ इतना ही नहीं है. एक समय था जब जामनगर को दुनिया भर में अपनी मानवता के लिए लोगों की जुबान पर था. उस समय के राजा दिग्विजय सिंह को पोलैंड की सरकार ने राष्ट्रपति अवॉर्ड से नवाजा था. आपको बता दें कि इस कहानी की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध से हुई थी. जर्मनी ने पोलैंड पर अटैक कर दिया था. यहां के लोगों को अपनी जान बचाना कठिन लग रहा था. अपनी जान बचाने के लिए 1 हजार जर्मन नागरिकों ने भारत की ओर कदम बढ़ाया था. इसमें सबसे अधिक छोटे बच्चे और महिलाएं शामिल थी. 

महाराजा दिग्विजय सिंह ने की मदद

महाराजा दिग्विजय सिंह ने सभी नागरिकों का अच्छे से ख्याल रखा. उन्हें वो सब सुविधाएं मुहैया करवाई जिसकी उन्हें जरूरत थी. इतना ही नहीं उनके लिए जामनगर शहर के 25 किलोमीटर दूर एक सुरक्षित गांव बसा कर दिया. महाराजा ने उन्हें आर्थिक मदद की. बच्चों को बहतर एजुकेशन हासिल करने में हेल्प की. इतना ही नहीं शर्णार्थियों के बीच पोलैंड की संस्कृति जिंदा रहे इसके लिए भी कई सारे उपाय किए. जानकारी के अनुसार ये शरणार्थी करीब 9 साल तक यहां रहे. वहीं महाराज सिंह के इस काम की दुनिया भर में तारीफ की गई. वहीं दुसरा विश्व युद्ध खत्म होने पर ये सभी जर्मन अपने देश लौट गए. इस काम के लिए महाराज दिग्विजय सिंह को पोलैंड की सरकार ने राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा. 

कई जर्मन जामनगर में बस गए

इतना ही नहीं पोलैंड की सरकार ने इस मसले पर भारत की सरकार से बात कर एक फिल्म बनाया गया. इस फिल्म में दिखाया गया कि पोलैंड के लोगों ने कैसा जीवन यहां जीया. उनका लाइफस्टाइल कैसा था. जामनगर के महाराज ने कैसे और कितनी मदद की. इस शॉर्ट फिल्म का नाम 'लिटिल पोलैंड इन इंडिया' दिया गया. इसमें ये भी दिखाया गया कि जर्मनी के लोग भारत के बारे में क्या विचार रखते हैं. कहा जाता है कि इस घटना को 80 साल हो चुके हैं. लेकिन कुछ लोग अभी भी जामनगर में रहते हैं वो यहां पूरी तरह से बस गए. हालांकि टाइम-टाइम पर वो पोलैंड जाते रहते हैं.