कमलनाथ का शिवराज सरकार से 9वां सवाल- मामा,आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा ?
रविवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार से 10वां सवाल दागा. इस बार उन्होंने आदिवासियों का मुद्दा उठाते हुए शिवराज सरकार से पूछा कि मामा,आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा ? क्यों छीन लिया उनका घरौंदा ? अपने ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल पर कमलानाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कठघरे में खड़ा किया.
भोपाल:
रविवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार से 9वां सवाल दागा. इस बार उन्होंने आदिवासियों का मुद्दा उठाते हुए शिवराज सरकार से पूछा कि मामा,आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा ? क्यों छीन लिया उनका घरौंदा ? अपने ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल पर कमलानाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कठघरे में खड़ा किया.
कमलनाथ ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 2006 में 10 करोड़ आदिवासी भाइयों को वनों में रहने और वनोपज से आजीविका का अधिकार सुनिश्चित किया .देश में सबसे ज़्यादा आदिवासी भाई मप्र में निवास करते हैंऔर मप्र व छत्तीसगढ़ ,दो ऐसे भाजपा शासित राज्य हैं.जिन्होंने आदिवासियों के वनों में रहने के अधिकार को रौंदा.मप्र में 6 लाख 63 हज़ार 424 आदिवासी परिवारों ने वन में निवास और सामुदायिक उपयोग के लिए मामा सरकार को आवेदन किया। मामा ने निर्दयतापूर्वक 3 लाख 63 हज़ार 424 परिवारों के आवेदन को अवैधानिक तरीके से निरस्त कर दिया .लगभग 18 लाख़ आदिवासी भाइयों के सपनो को रौंद दिया.
- सवाल नंबर 9 -
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 28, 2018
मोदी सरकार ने दी अंदर की दर्दनाक ख़बर,
मामा ने किया लाखों आदिवासी भाइयों को 'घर-बदर' ।
मामा,आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा ?
क्यों छीन लिया उनका घरौंदा ?
1/9 pic.twitter.com/QlkLDDr5mU
इसमें 1.54 लाख़ अनुसूचित जाति, पिछडा वर्ग के परिवारों ने भी दावे किये थे.उनमें से 1.50 लाख़ ,अर्थात 97.9% दावे ख़ारिज कर दिए गए.राज्य के 42 जिलों में इस श्रेणी के 100% दावे ख़ारिज किए गए .संसद द्वारा बनाये गए कानून के मुताबिक यह तय किया गया कि ग्राम वन समिति द्वारा दावों का सत्यापन करके, उन्हें स्वीकृत किया जाएगा.फिर विकासखंड स्तरीय समिति उन्हें मान्यता देगी.यहाँ ग्राम वन समिति, ग्राम सभा और विकासखण्ड स्तरीय समिति ने सभी दावों को मान्य किया .किन्तु इन सबके बावजूद शिवराज ने आदिवासी भाइयों के अधिकारों को निर्ममता पूर्वक रौंद दिया.
गंभीर कुपोषण से प्रभावित कोल और मवासी आदिवासी बहुल जिले सतना में 8466दावो मे से 6398दावे,अर्थात 75.6%दावे निरस्त किए गए,सीधी मे 78%,उमरिया में 63%,सिवनी में 67.4%,पन्ना में झाबुआ में 65.5% है. व्यापक तौर पर वनाधिकार कानून के तहत अधिकतम 4 हेक्टेयर पर अधिकार देने का प्रावधान है,मगर मध्यप्रदेश में औसतन मात्र 1.4 हेक्टेयर पर यह अधिकार दिए गए .आदिवासी बहुल झाबुआ में 1 हेक्टेयर , अलीराजपुर में 1.2हेक्टेयर ,मंडला में 1.4 हेक्टेयर ,बालाघाट में 1.2हेक्टेयर.
इसी प्रकार सीधी में औसतन 0.5 हेक्टेयर ,अनूपपुर में 0.7हेक्टेयर, शहडोल में 0.3 हेक्टेयर, इत्यादि .आश्चर्यजनक रूप से भोपाल आदिवासी जिला न होते हुए भी यहाँ औसतन 7.2 हेक्टेयर ज़मीन का अधिकार दिया गया .भोपाल में 7391 हेक्टेयर भूमि पर 1026 दावे स्वीकृत किए गए.इनमें से आदिवासी भाइयों के सिर्फ़ 210 दावे थे.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
-
Arti Singh Wedding: आरती की शादी में पहुंचे गोविंदा, मामा के आने पर भावुक हुए कृष्णा अभिषेक, कही ये बातें
धर्म-कर्म
-
May 2024 Annaprashan Muhurat: अन्नप्राशन मई 2024 में कब-कब कर सकते हैं ? यहां जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
-
Saturday Jyotish Upay: शनिवार के दिन की गई यह एक गलती शनिदेव की कर सकती है नाराज, रखें ध्यान
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी
-
Ganga Saptami 2024 Date: कब मनाई जाएगी गंगा सप्तमी? जानें शुभ मूहूर्त, महत्व और मंत्र