National Unity Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये खास दिन, जानें इतिहास और महत्व
National Unity Day 2023: भारत हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाता है. ऐसे में चलिए इस खास दिन का इतिहास, महत्व और कुछ खास बातें...
नई दिल्ली:
भारत के पहले गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस या National Unity Day के तौर पर मनाया जाता है. पटेल, जिन्हें "सरदार" की उपाधि से नवाजा गया था, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और उससे आगे के संघर्ष के दौरान देश का न सिर्फ कौशल नेतृत्व किया, बल्कि देश में मौजूद तमाम रियासतों के एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी अहम भूमिका अदा की. उनकी इन्हीं तमाम उपलब्धियों को याद करते हुए, हर साल उनकी जयंति पर देशभर में जश्न मनाया जाता है.
क्या है राष्ट्रीय एकता दिवस की तारीख
हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. साल 2014 में भारत सरकार ने इस खास दिन की घोषणा की थी. आइये इस दिन के इतिहास और महत्व पर गौर करें और कई बाते जानें...
ये है इस दिन का इतिहास...
साल 2014 में केंद्र सरकार ने, हर साल 31 अक्टूबर को वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की, साथ ही इस दौरान एक आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा कि 'यह अवसर वास्तविक और संभावित खतरों का सामना करने के लिए हमारे राष्ट्र की अंतर्निहित ताकत और लचीलेपन की पुष्टि करने का अवसर प्रदान करेगा'
गौरतलब है कि, भारत के इतिहास में वल्लभभाई पटेल की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, आजादी के बाद देश के सामने आए संघर्ष और देश के कौशल नेतृत्व के लिए, खासतौर पर रियासतों के एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी भूमिका को लेकर याद किया जाता रहा है.
बता दें कि सरदार पटेल ने ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्त हुई 565 स्वशासित रियासतों में से लगभग हर एक को भारत संघ में शामिल होने के लिए राजी करने की अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की. नव स्वतंत्र देश की राष्ट्रीय एकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए, सरदार पटेल को "भारत का लौह पुरुष" की उपाधि भी दी गई.
क्या है महत्व...
भारत अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाता है, जिनका स्वतंत्रता के बाद कई रियासतों को भारत संघ में शामिल होने के लिए मनाने में योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है. चूंकि देश भारत के एकीकरण के लिए पटेल के महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए आभारी है, इसलिए यह दिन उस "राष्ट्रीय एकता" को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है.
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