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Overthinking Problem: इतना मत सोचिए! आप ही का नुकसान कर रही ओवरथिंकिंग, जानिए इसका खतरा

क्या आप भी ओवरथिंकिंग करते हैं? देखिए जब सिचुएशन नेगेटिव हो तब टेंशन लेना बनता है, लेकिन अगर आप अक्सर ही किसी बेवजह ख्यालों में डूबे रहते हैं तो खबरदार.

Updated on: 31 May 2023, 01:07 PM

नई दिल्ली:

क्या आप भी ओवरथिंकिंग करते हैं? देखिए जब सिचुएशन नेगेटिव हो तब टेंशन लेना बनता है, लेकिन अगर आप अक्सर ही किसी बेवजह ख्यालों में डूबे रहते हैं तो खबरदार. कहीं आप अवसाद का शिकार तो नहीं हो रहे, क्योंकि ये आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है. विशेषज्ञों के मानें तो अगर आपकी चिंता लंबे वक्त से बरकरार है, और नियंत्रित नहीं हो पा रही है, तो आपको डॉक्टर की सलाह की जरूरत है. ध्यान हो कि चिंता-तनाव की ये समस्या इस कदर तक गंभीर है कि ये आपको डायबिटीज से लेकर ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से ग्रसित कर सकती है. आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

हृदय पर असर: लंबे वक्त से होने वाला तनाव ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, जिससे आपको दौरा पड़ने का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता हैं. डॅाक्टर बताते हैं कि जब हम चिंतित होते हैं, तो शरीर में रिलीज होने वाले कोर्टिसोल हार्मोन हमारे दिल की धड़कन को काफी तेज कर देते हैं, जब ये प्रक्रिया बार-बार होती है यानि की जब हम बार-बार चिंता करते हैं, तो इसका नकरात्मक असर रक्त वाहिकाओं पर पड़ता है और वो सूज जाती हैं, जिससे हम पर गंभीर हृदय रोगों का खतरा मंडराने लगता है. 

तंत्रिकाओं पर दुष्प्रभाव: तंत्रिकाएं हमारे शरीर में बतौर मैसेजिंग नेटवर्क काम करती हैं. जब हम ज्यादा चिंता करते हैं, तो ये हमारे स्ट्रेस हार्मोन को ट्रिगर करता है, जिससे हमारी हृदय गति और श्वास प्रभावित होती है. ऐसे में अगर ये स्थिति लंबे वक्त तक बनी रही यानि लंबे समय तक अनियंत्रित स्थित में तनाव की दिक्कत बनी रहे, तो इससे रक्त शर्करा और तंत्रिकाओं में दिक्कत होती है, जिस वजह से स्ट्रेस-डिप्रेशन के शिकार लोगों को स्ट्रोक होने खतरा बढ़ जाता है. 

डायबिटीज रोगियों की परेशानियां: ज्यादा चिंता स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज करता है और रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है. ऐसे में अगर कोई डायबिटीज रोगी ज्यादा तनाव लेता है, तो उसका रक्त शर्करा का स्तर गंभीर रूप से प्रभावित होता है, साथ ही ब्लड शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव आंखों से लेकर हृदय रोग और तंत्रिकाओं को प्रभावित करने लगता है, जो बेहद ही नुकसानदायक भी हो सकता है.