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शारदा चिट फंड घोटाला: कोलकाता HC ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत मंजूर की, 6 हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई

शारदा चिट फंड घोटाले मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है.

Updated on: 18 Feb 2019, 04:16 PM

नई दिल्ली:

शारदा चिट फंड घोटाले मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि नलिनी चिदंबरम को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. 6 हफ्ते बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी. गुरूवार को पूर्व वित्त मंत्री की पत्नी ने कोलकाता हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी. सीबीआई ने 11 जनवरी को इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दायर की ही. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. पोंज़ी स्कैम में नलिनी का नाम सामने आने के बाद सीबीआई ने छठी पूरक चार्ज शीट दायर की थी.

 प्रवर्तन निदेशालय ने 7 सितंबर, 2016 को नलिनी को समन जारी किया था, क्योंकि उनके नाम का जिक्र शारदा घोटाले के मास्टरमाइंड सुदीप्त सेन के सीबीआई को अप्रैल 2013 में लिखे पत्र में किया गया था. आरोप है कि शारदा समूह द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंबरम को टेलीविजन चैनल खरीद सौदे से जुड़े मामले में अदालत और कंपनी कानून बोर्ड में उपस्थित होने के लिए एक करोड़ रुपये दिया गया था.

कोलकाता में ंममता vs सीबीआई

बता दें कि पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से इस मामले में पहुंची सीबीआई टीम और राज्य की पुलिस के बीच हाई वोलटेज ड्रामा देखने को मिला था. पुलिस आयुक्त के घर पहुंची सीबीआई टीम के साथ कथित हाथापाई की खबर सामने आई. मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने धरने पर बैठने का ऐलान किया. करोड़ों रुपयों के दो पोंजी घोटालों -सारदा व रोज वैली- लोकसभा चुनाव से पहले चर्चित हुए.

2006 में शारदा ग्रुप की स्थापना हुई थी. सारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्त सेन ने चिट फंड और विभिन्न सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिए 3,500 करोड़ रुपये 17 लाख निवेशकों से जुटाए. ये निवेशक पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड और ओडिशा से थे. अप्रैल 2013 में शारदा ग्रुप बर्बाद हो गया था. समूह ने अपना ब्रैंड मीडिया और सीएसआर (कॉरपोरेश सोशल रिस्पांसबिलिटी) परियोजनाओं के जरिए बनाया था. समूह के राजनेताओं के साथ करीबी संबंध थे. आयकर और प्रवर्तन निदेशालय ने घोटाले और दूसरे पोंजी योजनाओं के खिलाफ जांच शुरू की. साल 2013 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजीव कुमार की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया था.