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क्या गहलोत के लिए रिजॉर्ट पर्यटन फिर से भाग्यशाली साबित होगा!

इससे पहले स्पिट्सविला शूट को होस्ट करने वाले और अब मध्यप्रदेश के विधायकों की मेजबानी करने वाला रिजॉर्ट जल्द ही महाराष्ट्र और राजस्थान में कांग्रेस के विभाजन का गवाह बन सकता है.

Updated on: 12 Mar 2020, 10:15 PM

नई दिल्‍ली:

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के लिए ब्यूना विस्ता रिजॉर्ट बीते वर्ष नवंबर में भाग्यशाली साबित हुआ था, जब उन्होंने कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना को महाराष्ट्र में सरकार गठन में मदद करने के लिए यहां 40 कांग्रेसी विधायकों को ठहराया था. इस बार यह रिजॉर्ट गहलोत के लिए फिर से भाग्यशाली साबित होगा, इस पर संशय है. राजनेताओं का मानना है कि मध्यप्रदेश संकट की जड़ें काफी मजबूत हैं और यह लंबे समय के लिए कांग्रेस को हानि पहुंचा सकती है क्योंकि महाराष्ट्र और राजस्थान ऐसे दो राज्य हो सकते हैं, जहां ऑपरेशन कमल को अंजाम दिया जा सकता है.

भाजपा सूत्रों ने पुष्टि करते हुए कहा कि इससे पहले स्पिट्सविला शूट को होस्ट करने वाले और अब मध्यप्रदेश के विधायकों की मेजबानी करने वाला रिजॉर्ट जल्द ही महाराष्ट्र और राजस्थान में कांग्रेस के विभाजन का गवाह बन सकता है. कुल 41 कांग्रेसी विधायक हॉर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए इस रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं, जबकि 31 विधायक प्लस ट्री रिजॉर्ट में हैं. तीन विधायक देर रात जयपुर पहुंचे थे.

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सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा ऑपरेशन कमल
राजस्थान के राजनीतिक सूत्रों ने दावा किया कि यह रिजॉर्ट जल्द ही महाराष्ट्र सरकार में बिखराव का गवाह बनेगा, जोकि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के गठजोड़ से बना है. भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने मीडिया से कहा, ऑपरेशन कमल सिर्फ मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगा, जल्द ही इसका प्रभाव महाराष्ट्र में दिखेगा. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस बाबत वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मुलाकात की है.

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राजस्थान में भी दोहरा सकते हैं मध्य प्रदेश की कहानी
दोनों के बीच छोटे और बड़े भाई को लेकर लड़ाई थी. जब उद्धव पहले से ही मुख्यमंत्री हैं तो हमें वहां सरकार गठन करने में कोई समस्या नहीं है. हम ठाकरे के साथ मुख्यमंत्री के रूप में काम करने को लेकर तैयार हैं. उन्होंने कहा, जहां तक राजस्थान की बात है, करीब 30 विधायक पहले से ही हमारे संपर्क में हैं और इस राज्य में भी मध्यप्रदेश की कहानी दोहराई जाएगी, क्योंकि सरकार द्वारा सचिन पायलट की उपेक्षा की जा रही है.