Ladakh Protest: पहले सोनम वांगचुक फिर महिलाओं का विरोध, जानें इसके पीछे की वजह
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2019 के अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून पास किया था. जिसके बाद ही जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख दोनों अलग राज्य बन गए.
नई दिल्ली :
Ladakh Protest: लद्दाख में विरोध पिछले कुछ दिनों से जारी है. यहां पर पहले राज्य के फेमस स्कॉलर और एनवायरमेंटलिस्ट सोनम वांगचुक भूख हड़ताल पर गए. हालांकि, उन्होंने कुछ ही दिनों बाद ही ये हड़ताल खत्म कर दी. लेकिन देखा जा रहा है कि वहां अब महिलाएं विरोध कर रही हैं. जानकारी के मुताबिक इस हड़ताल को जलवायु उपवास नाम रखा गया है. लेकिन आप सब सोच रहे होंगे कि आखिर ये विरोध किस बात के लिए है. आखिर इन लोगों की मांग क्या है. तो आज हम इन सभी सवालों के जवाब देंगे.
लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरण एक्टविस्ट सोनम वांगचुक ने 21 दिनों के लिए भूख हड़ताल की जिसे उन्होंने 6 मार्च को शुरू किया था. इसके बाद वहां की लोकल महिलाएं इसका विरोध कर रही है. महिलाओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी उनका ये विरोध जारी रहेगा. इसके साथ ही उनका कहना है कि यहां के लोग बारी-बारी से इस हड़ताल में भाग लेंगे और इसे जारी रखेंगे. उनका कहना है कि राज्य के नेचुरल रिसोर्स का बेतहासा उपयोग किया जा रहा है. इसके साथ ही उनकी कई और मांगे हैं.
2019 में अलग राज्य का दर्जा
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2019 के अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून पास किया था. जिसके बाद ही जम्मू- कश्मीर और लद्दाख दोनों अलग राज्य बन गए. लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित राज्य बन गया. वहीं, जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के साथ वाला राज्य बन गया. इसकी वजह से राज्य का विशेषाधिकार खत्म हो गया. अब 4.5 बाद लोग विरोध कर रहे हैं.
लद्दाख के लोगों की मांग
लद्दाख के लोगों की मांग है कि राज्य को नॉर्थ ईस्ट स्टेट की तरह ही छठी अनुसूची में शामिल किया जाए. इसके साथ ही पूर्ण राज्य का भी स्टेटस दिया जाए. उनका कहना है कि राज्य की कुल आबादी में से करीब 97 फिसदी लोग आदिवासी समुदाय से आते हैं. आपको बता दें कि साल 2019 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश कर चुकी है. उनकी मांग है कि लेह और कारगिल जिलों को लोकसभा सीट बनाया जाए. इसके साथ ही नौकरियों में लोकल्स को प्राथमिकता दी जाए.
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