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Atiq Era Ends: सपा, अपना दल: गैंगस्टर अतीक अहमद का राजनीतिक करियर

अपराध की दुनिया में खौफ का पर्याय बन चुके अतीक ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू. उसने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद पश्चिम सीट जीती.

Updated on: 16 Apr 2023, 06:48 AM

highlights

  • शनिवार देर शाम अतीक और अशरफ की गोलियां बरसा कर हत्या
  • बसपा विधायक राजू पाल की हत्या. गवाह उमेश पाल का अपहरण
  • 2016 से अतीक के आपराधिक सफर के पतन की शुरुआत हुई

नई दिल्ली:

प्रयागराज (Prayagraj) में शनिवार को हिस्ट्रीशीटर माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmad) और उसके भाई अशरफ (Ashraf) की पुलिस हिरासत में उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वह मीडिया से बात कर रहा था. अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या (Murder) के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों माफिया भाई अस्पताल परिसर में दाखिल हुए थे, जहां उनकी मेडिकल जांच होनी थी. इस बीच अतीक और अशरफ मीडिया से बात करने लगे. इसी बातचीत के दौरान मीडियाकर्मी बन कर पहुंचे तीन लोगों ने उनकी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या (Atiq Murder) कर दी. शनिवार को अतीक के बेटे असद (Asad) को भी भारी पुलिस सुरक्षा के बीच उसके नाना की मौजूदगी में प्रयागराज में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. गौरतलब है कि यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने गुरुवार को झांसी में असद अहमद को उसके शूटर गुलाम के साथ मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. अतीक अहमद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खौफ का दूसरा नाम था. अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री 1979 में हुई और उसके खिलाफ करीब 100 आपराधिक मामले दर्ज थे. अतीक अपराध जगत से राजनीति में प्रवेश कर चुका था. आइए एक नजर डालते हैं अतीक अहमद के उत्तर प्रदेश का कुख्यात अपराधी बनने, उसके राजनीतिक रसूख और अंततः उसके पतन की कहानी पर...

अतीक का राजनीतिक सफर

  • अपराध की दुनिया में खौफ का पर्याय बन चुके अतीक ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू. उसने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद पश्चिम सीट जीती.
  • निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अतीक अहमद ने लगातार अगले दो विधानसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी. अतीक की चौथी जीत समाजवादी पार्टी के टिकट पर हुई.
  • अतीक अहमद 1999 से 2003 के बीच अपना दल के अध्यक्ष भी रहा. 2002 में अतीक ने अपना दल के टिकट पर चुनाव जीता था.
  • अतीक ने समाजवादी पार्टी में वापसी की और 2004 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के फूलपुर से सांसद चुना गया.
  • 2005 में राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद ने 2008 में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद उसे समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. राजू पाल बसपा विधायक थे, जिन्होंने अतीक के भाई अशरफ को 2005 में एक विधानसभा उपचुनाव में हराया था. अतीक के लोकसभा में सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हुआ था.
  • 2014 में अतीक को समाजवादी पार्टी में वापस ले लिया गया. सपा के टिकट पर अतीक ने फिर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा प्रत्याशी से हार गया.
  • 2014 का लोकसभा चुनाव राजनीति में उसका आखिरी प्रयास था. इस बीच अतीक अपराध की दुनिया में काफी आगे बढ़ चुका था. 2016 में अतीक ने एक विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के सदस्यों के साथ मारपीट की, जिन्होंने नकल कर छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की थी. 

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अतीक की निजी जिंदगी
अतीक अहमद का जन्म उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में 1962 में हुआ था. उसकी शादी शाइस्ता प्रवीण से हुई थी, जो फिलहाल फरार है. अतीक और शाइस्ता के पांच बेटे क्रमशः अली, उमर, अहमद, असद, अहज़ान और अबान हैं. झांसी में शुक्रवार को यूपी पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में असद मारा गया. अतीक का भाई खालिद अजीम उर्फ ​​अशरफ भी पूर्व विधायक था.

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अतीक का आपराधिक रिकॉर्ड
पिछले चार दशकों में उत्तर प्रदेश में अतीक के खिलाफ 101 आपराधिक मामले दर्ज किए गए. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अतीक के खिलाफ पहला मर्डर केस 1979 में दर्ज किया गया था. अतीक पहला अपराधी था, जिस पर उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया. वह हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, धमकी और जमीन पर कब्जा करने सहित कई अपराधों में शामिल था. अतीक 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में भी आरोपी था. यह घटना तब हुई जब बसपा विधायक ने अतीक के वर्चस्व को चुनौती दी और उसके भाई खालिद अजीम के खिलाफ चुनाव जीता. इलाहाबाद (पश्चिम) विधानसभा सीट से अतीक के छोटे भाई को हराने के तीन महीने बाद ही राजू पाल की गोली मार हत्या कर दी गई थी. गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक पर राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल का अपहरण करने का भी आरोप लगाया गया था. अतीक ने उमेश पाल को यह बयान लिखने के लिए मजबूर किया था कि जब राजू पाल की हत्या होते वक्त मौका-ए-वारदात पर मौजूद नहीं था और वह गवाही भी नहीं देना चाहता था. उमेश पाल के 2006 में अपहरण के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अतीक के पतन के शुरुआती संकेत 2016 में मिले थे जब उसके सहयोगियों पर प्रयागराज में कॉलेज के कर्मचारियों पर हमला करने का आरोप लगा. उन्होंने एक परीक्षा में नकल करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले शिक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों से मारपीट की थी. अगले साल अतीक को हिरासत में लिया गया और 2018 में राज्य से बाहर ले जाया गया.