कम्युनिस्ट पार्टी के अधीन आने वाले श्मशान ने दलित महिला के अंतिम संस्कार करने की नहीं दी इजाजत
21वीं सदी में रहने के बावजूद केरल के पलक्कड़ जिले में छुआछुत की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सार्वजनिक श्मशान ने परिवार को एक दलित महिला का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया.
तिरुवनंतपुरम:
21वीं सदी में रहने के बावजूद केरल के पलक्कड़ जिले में छुआछुत की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सार्वजनिक श्मशान ने परिवार को एक दलित महिला का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. मृत महिला वसंथा की भाभी ने बुधवार को राज्य एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई. उसके बाद इस घटना का पता चला. पलक्कड़ जिला कलेक्टर को इस मामले को देखने और कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया.
पुथुर में बीमारी के बाद वसंथा का निधन हो गया. परिजन शव को अंतिम संस्कार करने के लिए अपने घर से सटे वन क्षेत्र में ले गए. हालांकि, वन विभाग ने वन भूमि में अंतिम संस्कार पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसलिए परिवार के पास सार्वजनिक श्मशान में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
पुथुर पंचायत द्वारा नियुक्त श्मशान के रक्षक वेलुचामी ने परिवार को वसंथा के अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया, क्योंकि उसे डर था कि ऊंची जाति के लोग नाराज हो जाएंगे.
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, मैं इस स्थान पर एक दलित महिला के अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि अन्य जाति के लोग नाराज हो जाएंगे. पुथुर पंचायत प्रगतिशील वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के अधीन है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) नेता पंचायत अध्यक्ष हैं.
पंचायत अध्यक्ष ज्योति अनिल कुमार ने मीडियाकर्मियों से कहा, यह पंचायत की श्मशान नहीं है. इसके बजाय हमने साइड वॉल का निर्माण किया है और श्मशान के रखरखाव के लिए धन प्रदान किया है, लेकिन भूमि गौंडर समुदाय के स्वामित्व में है और वे यहां दलितों का अंतिम संस्कार अनुमति नहीं देंगे.
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