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लोकसभा चुनाव

प्राइवेट सेक्टर में 75% स्थानीय आरक्षण का कानून फिर हुआ बहाल

सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा सरकार को गुरुवार को बड़ी राहत मिली। सर्नेवोच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद ‘हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020’पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रोक को रद्द कर दिया है।

Updated on: 11 May 2022, 11:44 PM

highlights

  • 75%  नौकरियों से बाहरी होंगे बेदखल
    हरियाणा सरकार की SC में जीत
     रद्द हुआ HC का रोक लगाने का आदेश

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा सरकार को गुरुवार को बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद ‘हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020’पर हाईकोर्ट के रोक को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को चार हफ्ते में इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला देने के लिए कहा है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए हैं। पीठ ने हाई कोर्ट की एक लाइन के आदेश पर भी सवाल उठाए और कहा कि क्या एक पंक्ति में सभी पहलू आ सकते हैं?

राज्य सरकार से भी सख्ती नहीं करने के आदेश 
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में हरियाणा सरकार द्वारा कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि हाईकोर्ट को इस मामले को जल्द ही निपटाना चाहिए और इसमें चार सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।

कानून में ये है प्रावधान
हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के प्राइवेट सेक्टर में नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को आरक्षण देता है। यह कानून 15 जनवरी 2022 से प्रभावी हुआ था। यह कानून अधिकतम कुल मासिक वेतन 30,000 रुपए या उससे कम वेतन की मजदूरी देने वाली नौकरियों पर प्रभावी होता है। उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुड़गांव सहित राज्य के अन्य निकायों द्वारा दायर याचिकाओं पर हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि यह कानून हरियाणा में काम करने वाली निजी क्षेत्र की 10 से ज्यादा लोगों को मासिक फिर दिहाड़ी  वेतन पर नौकरी देने वाली कंपनियों और कार्यालयों पर लागू होते हैं। 

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हाईकोर्ट ने लगाई थी अंतरिम रोक
निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले इस कानून को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद हरियाणा की खट्टर सरकार इस हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने के साथ ही 4 हफ्ते में अंतिम फैसला देने का कोर्ट से आग्रह किया है।