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सोनिया गांधी ने पार्टी की आवाज सामने रखने विशेषज्ञ समिति गठित की

कई नेताओं ने अनुच्छेद-370 को समाप्त करने, एनआरसी, सावरकर और अन्य मुद्दों पर अलग-अलग बातें की.

Updated on: 24 Oct 2019, 03:00 AM

नई दिल्‍ली:

महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी नेताओं के बीच वैचारिक मतभेदों पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की एक व्यवस्थित प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए एक विशेष समिति गठित की है. विशेष समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल और कपिल सिब्बल शामिल हैं. सोनिया ने देश और पार्टी के सामने खड़े कई सारे मुद्दों जैसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), नागरिकता (संशोधन) विधेयक और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौता पर कई सारी बैठकें भी बुलाई है.

दरअसल, पार्टी के नेता किसी भी मुद्दे पर अलग-अलग बातें कहते हैं, और अक्सर उनकी बातें एक-दूसरे के विपरीत होती है, जिसके कारण पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है. कई नेताओं ने अनुच्छेद-370 को समाप्त करने, एनआरसी, सावरकर और अन्य मुद्दों पर अलग-अलग बातें की. मनीष तिवारी ने जहां विनायक दामोदर सावरकर की आलोचना की और उन्हें भारत रत्न देने के भाजपा के प्रस्ताव पर सवाल उठाए, वहीं वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसके विपरीत बातें की और उन्होंने हिंदू नेता की प्रशंसा की.

सोनिया ने शुक्रवार सुबह 10 बजे चुनावी नतीजों का विश्लेषण करने के लिए भी एक बैठक बुलाई है. राहुल गांधी सहित पार्टी के 17 वरिष्ठ नेताओं को बैठक में आमंत्रित किया गया है. एक अन्य बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, नागरिकता (संशोधन) विधेयक और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर रणनीति तैयार की जा सकती है. प्रधानमंत्री अगले महीने आरसीईपी पर कोई निर्णय ले सकते हैं. इसमें दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 10 सदस्यों और इसके छह साझेदारों -भारत, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौता होना शामिल है. एनआरसी पर बैठक शुक्रवार शाम पांच बजे होनी है, जिसमें पूर्वोत्तर के पार्टी नेता भी शामिल होंगे.