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महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर कैलाश सत्यार्थी ने पीएम मोदी से कही ये बड़ी बात

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महिलाओं और बच्चों के लिए ‘न्याय के संकट’ को खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में ‘हमारी बेटियों’ के साथ जो हो रहा है, वह ‘राष्ट्रीय शर्म’ की बात है.

Updated on: 03 Oct 2020, 03:15 PM

दिल्ली:

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महिलाओं और बच्चों के लिए ‘न्याय के संकट’ को खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में ‘हमारी बेटियों’ के साथ जो हो रहा है, वह ‘राष्ट्रीय शर्म’ की बात है. हाथरस की घटना और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर प्रतिक्रिया देते हुए सत्यार्थी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री ने अनुरोध करेंगे कि वह ‘दुष्कर्म के खिलाफ युद्ध’ का नेतृत्व करें.

उन्होंने कहा कि जो भारत में हमारी बेटियों के साथ हो रहा है वह राष्ट्रीय शर्म का मामला है. मेरी माननीय प्रधानमंत्री से विनम्र अपील है कि पूरा देश आपको देख रहा है, हमारी महिलाओं और बच्चों के लिए न्याय के संकट को खत्म करें. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप दुष्कर्म के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व करें. हमारी बेटियों को आपकी जरूरत है और हम सब आपके साथ हैं.

सत्यार्थी ने हिंसा की मानसिकता को तोड़ने के लिए जन आंदोलन का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हमें दुष्कर्म की इस संस्कृति को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन कार्रवाई, दोनों की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘ हममें मानवता और सहानुभूति के मूल भाव की कमी हो रही है. हम अपनी बेटियों की रक्षा करने और बेटों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह बनाने में असफल हुए हैं. हमारे बेटों को सही करने में असफलता की कीमत हमारी बेटियां अब और नहीं चुकाएंगी. हिंसा की इस मानसिकता को तोड़ने के लिए जन आंदोलन की जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत को दुष्कर्म मुक्त बनाने की मांग को लेकर हमने वर्ष 2017 में भारत यात्रा का नेतृत्व किया था जिसमें 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 11 हजार किलोमीटर से अधिक का रास्ता तय किया गया. तब से हमने देखा कि सरकार ने सख्त सजा का प्रावधान करने सहित कई कदम उठाए. उच्चतम न्यायालय ने विशेष त्वरित अदालतें स्थापित करने के निर्देश दिए लेकिन दुष्कर्म की संस्कृति के खात्मे के लिए हमें राजनीति इच्छाशक्ति और जन कार्रवाई, दोनों की जरूरत है.’