मुलायम के परिवार में सब पास-पास, लेकिन साथ कोई नहीं
रजत जयंती समारोह में अखिलेश और शिवपाल की भिड़ंत ने साफ कर दिया है कि सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती आपसी फूट से निपटना है
New Delhi:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के 25 साल पूरे होने के जश्न के मौके पर भले ही मुलायम ने समाजवादियों को जुटा लिया लेकिन परिवार में पड़ी फूट और दरार को खत्म करने में वह पूरी तरह विफल रहे।
शिवपाल ने अखिलेश के समर्थक को मंच पर धक्का दिया तो वहीं अखिलेश ने चाचा शिवपाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए यह कहने में देर नहीं लगाई कि 'कुछ लोग समझेंगे लेकिन सब कुछ बिगड़ने के बाद।'
पहले तो मंच पर जब दोनों मिले तो चाचा और भतीजा दोनों के हाथ में तलवार थी। लगा भंजेगी। लेकिन भतीजे ने पैर छूकर चाचा से आशीर्वाद लिया। और फिर चचा ने मंच पर माइक संभाला। तलवाल छोड़ दी लेकिन जुंबा में धार तलवार की ही थी।
दिल का दर्द छलक कर जुंबा पर आ गया। बोले 'पार्टी के लिये खून दे सकते हैं।' अखिलेश पर निशाना साधते हुए शिवपाल ने कहा, 'हमारे बीच में कुछ घुसपैठिये आ गए हैं और उनसे सावधान होने की जरूरत है। नेताजी का अपमान हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
शिवपाल के भाषण से लगा उन्हें विष का प्याला पीने के लिये मजबूर किया गया हो। बोले, 'कितना भी अपमान कर लो पर काम हमनें भी किया है।' दिल पर पत्थर रखकर उन्हें यह कहना पड़ा कि अखिलेश ही हैं सीएम पद के असली दावेदार। मौके की नज़ाकत समझते हुए मंच से अखिलेश को आशीर्वाद देना मजबूरी थी।
उसके बाद जो हुआ उस पर शिवपाल को अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रहा। मंच पर अखिलेश समर्थक जावेद अबिदी पहुंचे और लगे सीएम की शान में कसीदा गढ़ने। शिवपाल आस्तीन चढ़ाते हुए माइक पर पहुंचे, जावेद अबिदी को धक्का दिया और वहां से चलता किया। इसके बाद शुरू हुए हंगामे पर अखिलेश समर्थकों को चेताते हुए शिवपाल ने उन्हें अनुशासन में रहने की ताकीद की।
अब बारी अखिलेश के बोलने की थी। बीते दिनों चाचा से कहा-सुनी का मंज़र याद आया हो शायद इसलिये तपाक से बोले , 'कुछ लोग समझेंगे लेकिन सबकुछ बिगड़ने के बाद।'
समारोह से पहले चल रहे सियासी मुलाकातों ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ चुनाव पूर्व महागठबंधन की अटकलों को जिंदा किया था। लेकिन मंच पर शिवपाल और अखिलेश की भिड़ंत ने गठबंधन की संभावनाओं को पैदा होने से पहले ही खत्म कर दिया है।
हालांकि मुलायम के समधी और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने पहल करते हुए मंच पर मौजूद अखिलेश और शिवपाल के हाथ मिलवाए लेकिन इस बात पर ज़ोर देना नहीं भूले कि पार्टी में अब सब ठीक है।
रथ यात्रा निकालकर अखिलेश ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था तो अब रजत जयंती समारोह में शिवपाल ने संगठन पर अपनी मजबूत पकड़ का प्रदर्शन किया है। समारोह की पूरी जिम्मेदारी गायत्री प्रजापति को दी गई है जिसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पसंद नहीं करते। जबकि अखिलेश यादव की रथयात्रा के पीछे खड़े युवा नेताओं को समारोह में आने की इजाजत नहीं है। अनुशासन का हवाला देते हुए शिवपाल इन सभी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं।
शिवपाल के बाद अखिलेश ने भी उन्हें जवाब दिया। अखिलेश ने कहा, 'आपने मुझे तलवार भेंट की है और तलवार दोगे तो चलाएंगे ही।' शिवपाल के खून मांगोगे वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'किसी को परीक्षा देने की जरूरत नहीं है । किसी को परीक्षा देनी है तो मैं तैयार हूं।'
आपसी झगड़े पर शिवपाल को निशाने पर लेते हुए अखिलेश ने कहा, 'कुछ लोग सब सुनेंगे लेकिन पार्टी बिगड़ने के बाद।' इसके बाद मंच पर आए लालू ने मोदी सरकार और सांप्रदायिकता पर निशाना साधा। सपा में चल रही कलह को खारिज करते हुए कहा कि परिवार में कोई लड़ाई नहीं है।
समारोह शुरू होने से पहले मुलाकातों का दौर चला। अखिलेश ने होटल जाकर लालू़, शरद और देवगौड़ा से मुलाकात की। सबसे अहम मुलाकात कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर और अखिलेश की रही। इससे पहले जब किशोर दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मिले थे, तब अखिलेश ने ऐसी किसी मुलाकात की जानकारी होने से इनकार किया था लेकिन तब भी उन्होंने गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया था।
समारोह में पहुंचे शरद यादव ने महागठबंधन के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'अभी तक गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है लेकिन देखते हैं कि आगे क्या होता है।' वहीं गठबंधन की संभावनाओं के बारे में संकेत देते हुए कहा, 'बिहार में जैसै बीजेपी को खदेड़ा था, वैसी ही यहां से भी खदेड़ेंगे।' हालांकि समारोह के मुख्य अतिथि एच डी देवगौड़ा ने गठबंधन को लेकर होने वाली किसी बात से इनकार किया।
राष्ट्रीय लोक दल के साथ हाथ मिला चुके नीतीश कुमार ने सपा के रजत जयंती समारोह से खुद को दूर कर लिया है वहीं कांग्रेस के नेता प्रशांत किशोर के गठबंधन की कोशिशों से नाराज है क्योंकि उन्हें लगता है कि उत्तर प्रदेश में चौतरफा लड़ाई की स्थिति में पार्टी को ज्यादा फायदा होगा। इससे पहले जनता परिवार के नेता साफ कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश में बनने वाल गठबंधन अखिलेश की शर्त पर होगा लेकिन जिस तरह से जनेश्वर मिश्र पार्क में अखिलेश और शिवपाल फिर से भिड़े, उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिवपाल भले ही अखिलेश की दावेदारी का सार्वजनिक समर्थन कर रहे हों लेकिन वह पार्टी में अखिलेश को जगह देने के मूड में नहीं है।
सबसे आखिरी में आए मुलायम ने सबको साथ लेकर चलने की सलाह दी। मुलायम चाहते हैं कि सभी समाजवादी साइकिल पर चलें लेकिन अखिलेश हाई टेक रथ लेकर पहले ही निकल चुके हैं।
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