CBI पर भ्रष्टाचार के दाग, FIR रद्द कराने दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना
सीबीआई में विशेष निदेशक अस्थाना ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई के खुद के खिलाफ दर्ज किए गए एफआईआर को रद्द करने की मांग की है.
नई दिल्ली:
सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना के बीच का झगड़ा अब कोर्ट तक पहुंच गया है। सीबीआई में विशेष निदेशक अस्थाना ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई के खुद के खिलाफ दर्ज किए गए एफआईआर को रद्द करने की मांग की है. अस्थाना पर धनशोधन के कई मामले में आरोपी मीट निर्यातक मोइन कुरैशी के एक मामले का निपटारा करने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है. यह जानकारी रविवार को एजेंसी की ओर से दी गई। वहीं अस्थाना ने निदेशक आलोक वर्मा पर 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।
इस मामले में सीबीआई ने रिश्वतकांड के आरोप में पुलिस उप अधीक्षक(एसपी) देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया था. मीट व्यवसायी मोईन कुरैशी केस में सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए एसआईटी सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया है. मामले की गंभीरता देखते हुए पीएम मोदी ने सीबीआई चीफ और डिप्टी चीफ को समन किया है.
क्या है पूरा मामला
सीबीआई ने कहा, 'हैदराबाद के सतीश बाबू साना की शिकायत के बाद राकेश अस्थाना, देवेंद्र और दो अन्य व्यक्ति, मनोज प्रसाद और सोमेश्वर प्रसाद के विरुद्ध 15 अक्टूबर को एफआईआर (प्रथम जांच रिपोर्ट) दर्ज की गई.'
और पढ़ें: सीबीआई रिश्वतकांड में पीएम मोदी ने चीफ और डिप्टी चीफ को समन किया, डीएसपी गिरफ्तार
एजेंसी ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारक कानून के संशोधित प्रावधन के अनुसार, जांच शुरू करने से पहले अनुमति जरूरी है, लेकिन यह अस्थाना के मामले में लागू नहीं होगा.
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी का आरोप है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत लिए गए.
सीबीआई ने कहा कि उसके पास सतीश साना का बयान है जोकि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत चार अक्टूबर और 20 अक्टूबर को दो बार रिकार्ड किया गया है. बयान में अस्थाना और अन्य के खिलाफ आरोप की पुष्टि होती है.
साना ने अपनी शिकायत में कहा कि उनको एक मुकदमे में मदद करने के बहाने अस्थाना और देवेंद्र समेत सीबीआई अधिकारियों द्वारा ली गई भारी रकम का हिस्सा बनाया गया, जबकि उसमें उनकी कोई संलिप्तता नहीं थी. शिकायतकर्ता साना ने कहा, 'मैंने ज्यादातर व्हाट्सएप संदेशों और वॉइस कॉल्स को रिकार्ड कर लिया, जिसे मैं समय पर प्रस्तुत करूंगा.'
सीबीआई का आरोप है कि सोमेश्वर अस्थाना के निवेश को संभालते थे.1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के गुजरात कैडर के अधिकारी अस्थाना पर एक कारोबारी से दो करोड़ रुपये का रिश्वत लेने का आरोप है, जो कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में थे. यह रकम उनको जांच को प्रभावित करने के लिए दिया गया था.
और पढ़ें: CBI ने अपने डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार को किया गिरफ्तार, मोइन कुरैशी केस में हैं आरोपी
मामला अस्थाना की अगुवाई में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही थी.
सीबीआई ने बिचौलिया मनोज की गिरफ्तारी के बाद 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की. मनोज ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रकम देने की पुष्टि की है. अस्थाना के अलावा सीबीआई ने भारत के विदेशी खुफिया एजेंसी रॉ के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल का भी नाम दर्ज किया है, लेकिन उनको आरोपी नहीं बनाया गया है.
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