Rajouri Encounter: अंतिम सांस तक आतंकियों से लिया लोहा, राजौरी के पांच बलिदानियों की कहानी
Rajouri Encounter: पांच शहीदों की कहानी काफी दुख भरी है, शहीदों में कोई जम्मू से था तो कोई आगरा से था. कोई छुट्टी पर जाने वाला था तो किसी की दो सप्ताह में शादी होनी थी.
नई दिल्ली:
Rajouri Encounter: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आंतकियों से मुठभेड़ में 5 भारतीय जवान शहीद हो गए. करीब 36 घंटे चली इस मुठभेड़ में 2 कैप्टन ने भी बलिदान दिया. वहीं, सेना की इस कार्रवाई में लश्कर के दो आतंकी भी मारे गए. शहीद हुए पांच जवानों के जीवन की कहानियां काफी दुख भरी हैं. इसमें कोई जम्मू से था कोई आगरा से था. वहीं किसी की दो सप्ताह में शादी भी होने वाली थी, तो कोई अवकाश पर जाने को लेकर उत्सुक था. मगर देश की रक्षा के आगे उन्हें हर चीज छोटी लगी. आइए जानते हैं उनके जज्बे की कहानी.
हम नहीं तो देश की सेवा करेगा कौन
कैप्टन शुभम गुप्ता के परिजनों ने बताया कि शुरू से वे ये कहते रहे हैं कि पापा, हम नहीं तो देश की सेवा करेगा कौन. शुभम जब भी अपनी माता पुष्पा और पिता बसंत गुप्ता को फोन किया करते थे तो उन्हें हमेशा उनकी हिम्मत बांधते रहते थे. वह कहते थे कि अपना ध्यान जरूर रखना. वे हमेशा ये कहते थे कि मौत जो आज आनी है तो कल भी आएगी. शुभम का कहना था कि उन्होंने आर्मी को इसलिए ज्वाइन किया ताकि देश की सेवा कर सकूं. इसमें जान जाती है तो जाए. शुभम काफी खुशनुमा इंसान थे. वे काफी मजाक किया करते थे. वे जल्द ही छुट्टी पर जाने वाले थे.
कैप्टन एम वी प्रांजल
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद कैप्टन एम वी प्रांजल का पार्थिव शरीर आज बेंगलुरु जाएगा. 63 राष्ट्रीय राइफल्स के 29 वर्षीय जवान ने आतंकियों से लोहा लेते वक्त अपनी जान गंवा दी. मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) से रिटायर्ट एम वेंकटेश के पुत्र प्रांजल ने दक्षिण कन्नड़ जिले के सुरथकल में अपनी अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा किया. शुरूआत से ही प्रांजल पढ़ाई में काफी तेज थे. दो साल पहले ही प्रांजल की शादी हुई थी.
बचपन से ही देश सेवा के लिए उत्साहित थे संजय सिंह बिष्ट
पांच शहीदों में से एक कुमाऊं के 28 वर्षीय संजय सिंह बिष्ट ने अपने जीवन का बलिदान दिया. वे बचपन से ही देश सेवा के लिए उत्साहित थे. वे हमेशा से सेना में भर्ती होना चाहते थे. बारहवीं पास करते ही संजय साल 2012 में 19-कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हो गए. अपनी अथक मेहनत के बाद वो नाइन पैरा की स्पेशल फोर्स कमांडो में तैनात हो गए.
8 दिसंबर को होनी थी शादी
घर में शादी की तैयारियां हो रही थी. तब खबर आती है कि बेटा शहीद हो गया. सचिन लौर अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र के नगलिया गौरोल के निवासी थे. आठ दिसंबर को उनकी शादी होने वाली थी. तभी उनके बलिदान की खबर सामने आती है. सचिन लौर 2019 में ही सेना में भर्ती हुए. तब से जम्मू में तैनात थे. 2021 में स्पेशल फोर्स के कमांडो बने. सचिन के भाई भी नेवी में है. सचिन की मौत से पूरा परिवार गहरे सदमे है.
हवलदार अब्दुल माजिद
इस ऑपरेशन में पैरा कमांडो अब्दुल माजिद भी शहीद हो गए. माजिद का परिवार एलओसी में मौजूद एक गांव में निवास करता है. उनके घर वालों का बुरा हाल है. माजिद अब अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चे को छोड़ गए हैं. माजिद के परिवार का सेना से पुराना संबंध रहा है. उनके मौसेरे भाई नसीर भी युद्ध में शहीद हुए. वे पुंछ के तरकुंडी सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गए थे.
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