रूस-यूक्रेन युद्ध से पंजाब के किसानों की हुई चांदी, जानें इसकी वजह
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है. वहीं, यह युद्ध पंजाब के किसानों के लिए एक अवसर प्रदान किया है, जिससे किसानों को भारी लाभ होने की संभावना है.
highlights
- रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया में गहराएगा गेहूं संकट
- 40 प्रतिशत गेहूं ये दोनों देश करते हैं निर्यात
- पंजाब के किसानों को अच्छी कीमत मिलने के हैं आसार
नई दिल्ली:
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है. वहीं, यह युद्ध पंजाब के किसानों के लिए एक अवसर प्रदान किया है, जिससे किसानों को भारी लाभ होने की संभावना है. दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश है. ये दोनों देश दुनिया की जरूरतों का 40 प्रतिशत गेहूं निर्यात करते हैं. ऐसे में यहां युद्ध छिड़ने और रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध की वजह से दुनिया भर में गेहूं की मांग बढ़ेगी, ऐसे में इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की अच्छी कीमत मिलने के आसार है, जिसका सीधा फायदा पंजाब के किसानों को होगा.
दरअसल, रूस यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से इस बार पंजाब के किसानों को बड़ा फायदा हो सकता है. अनुमान है कि इस युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी (Wheat Shortage) हो सकती है. इसलिए निजी व्यापारी किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊंची कीमतों पर गेहूं खरीद सकते हैं. जिसका किसानों को सीधा फायदा होगा.
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राज्य की विभिन्न मंडियों के कमीशन एजेंटों के मुताबिक गेहूं के पुराने स्टॉक का बाजार मूल्य इस वक्त 2,250 रुपए से 2,300 रुपए प्रति क्विंटल है. जबकि इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपए प्रति क्विंटल है. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) दोनों ही देश गेहूं के बड़े उत्पादक (Wheat Producer) हैं, लेकिन इस वक्त ये दोनों देश युद्ध में उलझे हुए हैं. इसके साथ ही रूस के खिलाफ दुनियाभर के देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है. ऐसे में गेहूं की आपूर्ति बाधित होना तय माना जा रहा है. ऐसे में बाजार भाव एमएसपी (MSP) से बहुत ज्यादा बढ़ सकती है.
ऐसे में हर किसान इस बार अपना सारा गेहूं सरकारी एजेंसियों को न बेचकर खुले बाजार में उच्च दरों पर बेच सकते हैं. ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस बार 2,500 से 3,000 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं के दाम मिल सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट में एक प्रमुख कमीशन एजेंट विजय कालरा ने बताया कि अभी केवल आटा मिल मालिक ही मंडियों से गेहूं खरीद रहे हैं. गौरतलब है कि अगले सप्ताह से गेहूं की आवक शुरू हो जाएगी. इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि कई विदेशी खिलाड़ी भी मैदान में आएंगे और गेहूं खरीदी शुरू करेंगे.
तकरीबन 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक की है उम्मीद
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अफसरों का कहना है कि सरकार ने वैसे तो 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बाजार में आवक की तैयारी की है. इसी के हिसाब से भंडारण का इंतजाम किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अनुमान है कि शुक्रवार से शुरू हो रहे खरीद सीजन में FCI और अन्य सरकारी एजेंसियों को इस बार सिर्फ 122 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संकट को देखते हुए हो सकता है कि इस बार किसान अपना पूरा गेहूं मंडियों तक नहीं आएंगे.
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