मैसूर विश्वविद्यालय में बोले PM मोदी- शिक्षा और दीक्षा रहे हैं अहम पड़ाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे हैं. बता दें कि मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में की गई थी. यह देश का छठा और कर्नाटक का पहला विश्वविद्यालय था.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में सरकार बहने से पहले देश में सिर्फ 16 आईआईटी थे. बीते 5-6 साल में 7 नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं. नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव होंगे.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि चार साल पहले आईआईटी में लड़कियों के नामांकन का अनुपात 8 प्रतिशत था. इस साल यह ढाई गुना बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच गया है. नई शिक्षा नीति इन सभी शैक्षिक सुधारों को एक नई दिशा देगी. शिक्षा के हर स्तर पर, देश भर में लड़कों की तुलना में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात अधिक है. उच्च शिक्षा में भी और नवाचार और प्रौद्योगिकी में, लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है.
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मैसूर यूनिवर्सिटी ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, तेजी दिखाई है. बीते 6-7 महीने में देखा होगा कि रिफॉर्म्स की गति और दायरा दोनों बढ़ रहा है. खेती, स्पेस, डिफेंस, एविएशन हो या लेबर, ऐसे हर सेक्टर में ग्रोथ के लिए जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं. आज शिक्षा के हर स्तर पर देश में बेटियों के ग्रास एनरोलमेंट रेसियो बेटों से ज्यादा है. उच्च शिक्षा में भी इनोवेशन और टेक्नोलॉजी से जुड़ी पढ़ाई में भी बेटियों की भागीदारी बढ़ी है.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर नई शिक्षा नीति देश के एजुकेशन सेक्टर का भविष्य सुनिश्चित कर रही है, तो ये आप जैसे युवा साथियों को भी एंपावर कर रही है. अगर खेती से जुड़े रिफॉर्म्स किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो लेबर रिफॉर्म्स लेबर और इंडस्ट्री दोनों को ग्रोथ, सिक्योरिटी और थ्रस्ट दे रहे हैं. मेडिकल एजुकेशन में भी ट्रांसपेरेंसी की बहुत कमी थी. इसे दूर करने पर भी जोर दिया गया. आज देश में मेडिकल एजुकेशन में पारदर्शिता लाने के लिए नेशनल मेडिकल कमिशन बनाया जा चुका है.
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