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कपिल सिब्‍बल ने ईडी वाले केस में सुप्रीम कोर्ट में पी चिदंबरम की ऐसे की पैरवी

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई वाले मामले में कहा कि अब अगर पी चिंदबरम चाहते हैं तो नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं पर अग्रिम ज़मानत अर्जी पर अब SC में सुनवाई नहीं होगी.

Updated on: 27 Aug 2019, 09:32 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई वाले मामले में कहा कि अब अगर पी चिंदबरम चाहते हैं तो नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं पर अग्रिम ज़मानत अर्जी पर अब SC में सुनवाई नहीं होगी. ED वाले केस में अभी सुनवाई चल रही है. कपिल सिब्बल ने एक बार फिर ED द्वारा HC जज को सीलबंद कवर में नोट दिये जाने की दलील रखी. सिब्‍बल ने कहा, इस नोट के जवाब का मौका दिल्‍ली हाई कोर्ट में नहीं दिया गया. उन्‍होंने कहा, जिरह सुरक्षित होने के बाद सीलबंद कवर में डॉक्यूमेंट पेश किया जाना कानूनी प्रकिया के खिलाफ है.

कपिल सिब्‍बल ने कहा, हमें जानकारी ही नहीं थी कि कवर में क्या डॉक्यूमेंट कोर्ट को दिए गए, हमे उन पर अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया. कपिल सिब्‍बल ने यह भी कहा कि ED ने SC में दायर हलफनामा मीडिया में लीक किया है.

कपिल सिब्‍बल की दलीलों का जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, आप यहां राजनीतिक डिबेट कर रहे हैं. इसके बाद सिब्बल ने केस डायरी को लेकर दलीलें रखनी शुरू की. सिब्‍बल ने कहा, केस डायरी अपने आप में कोई पुख्ता सबूत नहीं है. सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला दे रहे हैं, जिसके मुताबिक केस डायरी सबूत के तौर पर मान्य नहीं हैं और केस डायरी का रोल महज ये देखने के लिए है कि जांच सही तरीक़े से हुई या नहीं.

कपिल सिब्‍ब्‍ल ने कहा, निष्पक्ष जांच और निष्पक्ष ट्रायल आर्टिकल 21 का हिस्सा है. कानूनी प्रकिया की अवहेलना करके आप किसी की लिबर्टी को नहीं छीन सकते. सिब्‍बल ने इसे मीडिया ट्रायल बताते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे को मीडिया में लीक किया जा रहा है, ताकि रिमांड बढ़ाई जा सके. सिब्बल ने कहा, बिना पुष्टि के जानकारी फैलाकर मीडिया ट्रायल किया जा रहा है. तीन बार ED ने उनसे पूछताछ की. कोर्ट उसकी ट्रांसस्क्रिप्ट मांगे. अगर ED विदेश में एक खाते/सम्पति की जानकारी कोर्ट में रख दे तो मैं याचिका वापस ले लूंगा.

कपिल सिब्‍बल ने कहा, तीन बार ED चिंदबरम से पूछताछ कर चुकी है. कभी भी उनकी पोती के नाम सम्पतियों की वसीयत या फिर विदेश में मौजूद सम्पतियों के बारे में नहीं पूछा गया. सीबीआई चिंदबरम से उनके ट्विटर एकाउंट के बारे में पूछती है. उन्हें शैल कंपनियों का कब पता चला. अगर ऐसी कोई बात थी तो चिंदबरम से इस बारे में क्यों नहीं पूछा गया.

कपिल सिब्‍बल ने कहा, केस ये है कि INX मीडिया को FIPB मंजूरी के लिए पी चिंदबरम के वित्त मंत्री रहते हुए कार्ति चिंदबरम ने FIPB अधिकारियों को प्रभावित किया.  इस मामले में FIPB के इन 6 अफसरों से पूछताछ की गई लेकिन किसी ने नहीं माना कि कार्ति ने उनसे मुलाकात की थी. इन अधिकारियों के बयान भी attachment procedding का हिस्सा हैं. सिब्बल बोले, जिन कम्पनियों को फायदा पहुचाने की बात कही जा रही है, कार्ति उनके न तो शेयरहोल्डर हैं और न ही डायरेक्‍टर. इसी आधार पर कार्ति को जमानत मिली.

सिब्बल ने दलीलें पेश करते हुए कहा, सीए भास्कर रमन को भी ज़मानत मिली. कार्ति चिंदबरम को भी ज़मानत मिल गई है और अभी 6 सेक्रेटरी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी भी नहीं ली गई है. सिब्बल ने एक बार फिर दिल्‍ली हाई कोर्ट में सीलबंद कवर में ED द्वारा डॉक्यूमेंट पेश किए जाने का मामला उठाया. 

सिब्बल ने कहा, अगर मनी ट्रेल है तो उसे साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज और उस रकम का सोर्स तो होना चाहिए. ये समझ से परे है कि वो (ED) क्या हासिल करना चाहते हैं. कस्टड़ी हासिल करने के लिए कुछ आधार तो होना चाहिए. अगर दस्तावेज की जांच के बाद कुछ हासिल होता है तो उसे आरोपी के सामने पेश कर उससे सफाई मांगी जानी चाहिए. यहां एकतरफा मामला है. डॉक्यूमेंट आरोपियों के सामने नहीं, बल्कि सीधे कोर्ट में पेश किए जाते हैं.

सिब्बल ने यह भी कहा, पी चिंदबरम ज़मानत की हर शर्त मानने को तैयार हैं . उन्हें कुछ दिन दीजिए और देखिए कि वो जांच में सहयोग दे रहे हैं या नहीं. अगर कोर्ट को आगे कुछ गड़बड़ी लगती है, तो कस्टड़ी में पूछताछ की मांग पर तो कोर्ट कभी भी विचार कर सकता है.

सिब्बल ने कहा, दिल्‍ली हाई कोर्ट के फैसले में लिखी गईं बातें उस नोट से हूबहू ली गई है, जो ED ने सीलबंद कवर में दिया था. अगर ऐसा नहीं है तो हाई कोर्ट के जज को ये कहां से मिला. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा, ये केस रिकॉर्ड का हिस्सा है तो सिब्बल ने पूछा, वो रिकॉर्ड कहां है, दिखाइए.

सिब्बल ने दोहराया कि ED के नोट से दिल्ली HC के जज ने अपने फैसले में हूबहू लिखा है. जज ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया.

तुषार मेहता ने कहा कि पता नहीं, वो किस नोट की बात कर रहे हैं. ऐसा कोई नोट रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है. तुषार ने कहा कि उनकी ओर से ऐसा कोई नोट दिल्‍ली हाई कोर्ट में पेश नहीं किया गया. उन्होंने सिर्फ केस डायरी को रखा है.