कर्नाटक सरकार पर संकट के बादल, विधानसभा का मानसून सत्र आज से
कांग्रेस के 13 और जनता दल सेक्यूलर के तीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिससे सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
नई दिल्ली:
कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार पर छाए संकट के बादल के बीच आज शुक्रवार से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. पिछले कुछ दिनों से राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदले हैं. कांग्रेस के 13 और जनता दल सेक्यूलर के तीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिससे सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया है कि उनकी सरकार मजबूत स्थिति में हैं और कोई खतरा नहीं है. उन्होंने बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया. कुमारस्वामी ने कहा, "हम मानसून सत्र के निर्वाध संचालन के लिए तैयार हैं."
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इससे पहले कर्नाटक का सियासी नाटक मुंबई पहुंच गया था. मुंबई के एक होटल में इस्तीफा दे चुके विधायकों ने शरण ली थी और मुंबई पुलिस से सुरक्षा मांगी थी. विधायकों को मनाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री डीके शिवकुमार वहां पहुंच गए थे, जबकि मुंबई पुलिस ने विधायकों से शिवकुमार को मिलने नहीं दिया. डीके शिवकुमार ने उसी होटल में अपना भी रूम बुक कराया था, जबकि होटल प्रबंधन ने उनकी बुकिंग कैंसिल कर दी थी.
बाद में इस्तीफा दे चुके विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर इस्तीफा मंजूर न करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों से कहा कि गुरुवार शाम 6 बजे वे विधानसभा अध्यक्ष के सामने उपस्थित हों. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को भी उनके इस्तीफे पर जल्द फैसला लेने को कहा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में ही अपील की, जिस पर शुक्रवार यानी आज सुनवाई होनी है.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार शाम को कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष से मिले. बागी विधायकों से मिलने के बाद स्पीकर ने कहा कि उनके इस्तीफे नियत फॉर्मेट में नहीं मिले हैं. स्पीकर ने कहा, "विधायक अपना इस्तीफा मेरे कार्यालय में नियत फॉर्मेट में लिखें. मैं निजी तौर पर उनकी बात सुनने के बाद ही इस्तीफे पर फैसला लूंगा."
अगर इस्तीफे स्वीकार हुए तो...
स्पीकर के 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की स्थिति में विधानसभा की सदस्य संख्या 225 से घटकर 209 रह जाएंगी और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 105 हो जाएगा, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमटकर अल्पमत में आ जाएगा.
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