अयोध्या केस से हटने वाले जज यूयू ललित बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की भी कर चुके हैं पैरवी
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के मुद्दे पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धन ने जस्टिस यूयू ललित को लेकर सवाल उठाए.
नई दिल्ली:
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के मुद्दे पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धन ने जस्टिस यूयू ललित को लेकर सवाल उठाए. जस्टिस यूयू ललित उस 5 सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य थे, जो अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही थी, लेकिन अधिवक्ता राजीव धवन की आपत्ति के बाद वह स्वयं केस से हट गए. राजीव धवन की दलील थी कि यूयू ललित अधिवक्ता रहते हुए बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए 1994 में पेश हुए थे. इस पर जस्टिस यूयू ललित ने केस से खुद को अलग कर लिया. हालांकि हिंदू पक्ष के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमें यूयू ललित से कोई समस्या नहीं है.
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अमित शाह की पैरवी कर चुके हैं जस्टिस ललित
सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले जस्टिस यूयू ललित बड़े अधिवक्ता रह चुके हैं. उन्होंने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में अमित शाह की पैरवी की थी. केवल इतना ही नहीं वह कई बड़े हाई कोर्ट में हाई प्रोफाइल मुकदमों की पैरवी कर चुके हैं. वह तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिए जाने वाली बेंच में भी शामिल थे. इसके अलावा वे काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान, भ्रष्टाचार मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, जन्मतिथि केस में जनरल वीके सिंह की पैरवी कर चुके हैं.
एससी-एसटी एक्ट पर फैसला देने वाली पीठ के थे हिस्सा
एससी एसटी एक्ट पर अहम फैसला देने वाली खंडपीठ में जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस ललित भी थे. तकनीकी शिक्षा को लेकर भी उनका फैसला काफी अहम रहा था. जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने अपने फैसले में कहा कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन ने इंजीनियरिंग के लिए डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम्स को अनुमति नहीं दी थी.
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एक और केस से अलग हो गए थे यूयू ललित
मथुरा के गोवर्धन में कुंडों के पुनरुद्धार मामले की सुनवाई से भी जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अलग कर लिया था. जस्टिस ललित ने शुक्रवार को बृज फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए कहा कि न्यायाधीश बनने से पहले उन्होंने इस मामले से जुड़े एक पक्षकार को वकील के तौर पर राय दी थी. बृज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश को चुनौती दी थी. एनजीटी ने बृज फाउंडेशन की तीन कुंडों संकर्षण कुंड, रुद्र कुंड और ऋणमोचन कुंड के जीर्णोद्धार का काम चालू रखने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया था. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने कुंडों के पुनरुद्धार में किये गए निर्माण को भी तोड़ने का आदेश दिया था और उस जगह गऊ घाट बनाने को कहा था.
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