अंतरिक्ष में ISRO की 100वीं छलांग, 31 सेटेलाइट का सफल प्रक्षेपण, 5 खास बातें
भारत ने अंतरिक्ष में एक बार और छलांग लगाते हुए इतिहास रच दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का सेटेलाइट भेजने का शतक पूरा हो गया है।
highlights
- इसरो ने कार्टोसैट-2 सहित 31 सेटेलाइट प्रक्षेपित किए
- 31 उपग्रहों में से तीन उपग्रह भारत के और 28 अन्य छह देशों के हैं
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर इसरो की जमकर तारीफ की और बधाई दी
नई दिल्ली:
भारत ने अंतरिक्ष में एक बार और छलांग लगाते हुए इतिहास रच दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपने अंतरिक्ष केंद्र से दूर संवेदी कार्टोसैट और 30 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
44.4 मीटर ऊंचे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी40) ने 28 घंटों की उल्टी गिनती के बाद शुक्रवार सुबह 9.29 बजे उड़ान भरी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर इसरो की जमकर तारीफ की और बधाई दी।
मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'नए साल की शुरुआत में ही इसरो की इस उपलब्धि पर बहुत बधाई। हमें उम्मीद है कि ये देश के किसानों, मछुआरों और नागरिकों की मदद करेगा।'
5 खास बातें
1. प्रक्षेपण के लगभग 17 मिनट और 18 सेकंड के बाद 320 टन वजनी रॉकेट से एक-एक करके उपग्रह अलग होते गए और पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित हुए। 31 उपग्रहों में से तीन भारत के और बाकी कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं।
2. भारतीय उपग्रहों में पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह इस मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। इसके साथ ही सहयात्री उपग्रह भी हैं, जिनमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल है।
3. कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह रॉकेट से सबसे पहले अलग हुआ और पृथ्वी से 505 किलोमीटर ऊपर सूर्य की तुल्यकालिक कक्षा में प्रवेश कर गया। इसके बाद 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह और 100 किलोग्राम का माइक्रो उपग्रह अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित हुए।
4. कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह पांच वर्षो के लिए पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहेगा। माइक्रो उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहने वाला भारत का 100वां उपग्रह होगा। कार्टोसैट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। जो उच्च-गुणवत्ता वाला चित्र प्रदान करने में सक्षम है, जिसका इस्तेमाल शहरी व ग्रामीण नियोजन, तटीय भूमि उपयोग, सड़क नेटवर्क की निगरानी आदि के लिए किया जा सकेगा।
5. चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था। पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है।
और पढ़ें: जगदीश सिंह खेहर ने कहा- हिंदुत्व की राजनीति भारत के हित में नहीं
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