अटल बिहारी वाजपेयी के 5 काम जो PM नरेद्र मोदी के लिए बने वरदान
वह 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनें। इस दौरान उन्होंने कई बड़े काम किए जिसने भारत के विकास को एक नई दिशा दी।
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक वक्ता, एक कवि के रूप में जितना जनता के बीच प्रसिद्ध थे, उतने ही वो एक राजनेता के तौर पर भी जनमानस के मन में व्याप्त थे। अटल बिहार वाजपेयी ने पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। दरअसल उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 13 दिन का समय दिया गया था लेकिन वह संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। जिस कारण उनकी सरकार गिर गई थी।
1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीनों तक चली थी। इस बार विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया। अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वाजपेयी जी की सरकार एक वोट से गिर गई।
साल 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार पूरे 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया। वह 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनें। इस दौरान उन्होंने कई बड़े काम किए जिसने भारत के विकास को एक नई दिशा दी।
भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना (India As Nuclear Power)
अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में 5 भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। उनके इस कदम से विश्व पटल पर भारत का नाम परमाणु संपन्न देशों में शुमार हो गया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अमेरिका के अति विकसित जासूसी उपग्रह और टेक्नॉलजी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
यही नहीं परमाणु परीक्षण के बाद पश्चिमी देशों की ओर से भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ।
पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल (Sada-e-Sarhad Bus Service)
एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम अपने दोस्तों को चुन सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसियों का चुनाव नहीं कर सकते। अपनी इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते रखें।19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों की एक नयी शुरुआत की थी।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project)
अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर गुवाहाटी तक सभी राज्यों को सड़कों के जरिए जोड़ने का सपना देखा था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project) की शुरुआत की। इस परियोजना के तहत दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया।
ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था। आज पीएम मोदी के कार्यकाल में भी वाजपेयी जी के इस सपने पर काम तेजी से हो रहा है और मोदी सरकार के कार्यकाल में यह बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
100 साल पुराने कावेरी विवाद को सुलझाने की पहल
पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच चल रहे पिछले 100 साल से पहले ज्यादा पुराने कावेरी विवाद को लेकर समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट को कावेरी वाटर डिस्प्यूट ट्राइब्यूनल (सीडब्ल्यूडीटी) को सौंपा, जिस पर 2007 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
बता दें कि कावेरी नदी जल विवाद को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में कई बार हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है। 1990-91 में खराब मानसून रहा जिससे औसत से 35 प्रतिशत कम बारिश हुई। राज्य भर में तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी दिए जाने का हिंसक विरोध हुआ। इस हिंसा में 18 लोगों की मौत हो गई थी।
जीएसटी भी है अटल देन
देश में इनडायरेक्ट टैक्स का इतिहास बदल गया है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 को लागू हो गया है।, लेकिन इसकी नीव 18 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में रखी थी। अटल को इस बात की सलाह उनके इकोनॉमिक एडवाइजरी बोर्ड ने दी थी। यहां ध्यान रखने लायक बात यह है कि उस वक्त तक देश में न तो कंप्यूटर आज की तरह उपलब्ध थे, न ही इंटरनेट की आज के हिसाब से कल्पना थी। फिर भी देश का इतिहास बदलने लायक सलाह दी गई और उसे माना भी गया।
कौन-कौन था एडवाइजरी बोर्ड में
1999 में देश में इनडायरेक्ट टैक्स का नया स्ट्रक्चर बनाने की सलाह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दी गई थी। उस वक्त उनके इकोनॉमिक एडवाइजरी पैनल में आरबीआई के तीन पूर्व गवर्नर आईजी पटेल, बिमल जालान और सी. रंगराजन शामिल थे।
मोदी सरकार के आते ही आई तेजी
19 दिसम्बर 2014 में लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 122वां संविधान संशोधन बिल पेश किया। इस दौरान उन्होंने अप्रैल 2016 में लागू करने की मंशा जताई गई। लेकिन यह डेडलाइन पूरी नहीं की जा सकी। फिर भी सरकार ने हिम्मत नहीं हारी और अंत में राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बाद भी 3 अगस्त 2016 को 122वां संविधान संशोधन बिल पास हो गया।
2017 रहा ऐतिहासिक वर्ष
आखिरकार वह ऐतिहासिक समय आ गया। 1 जुलाई 2017 को यह लागू हो गया। इससे पहले जीएसटी से जुड़े कानूनों को स्टेट जीएसटी और यूनियन टेरिटरी जीएसटी कानूनों को जीएसटी काउंसिल ने पास किया।
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