logo-image

सजा पूरी होने पर भी भारतीय जेल में फंसे हैं 5 पाकिस्तानी

राष्ट्रीय राजधानी की जेल में कैद पांच पाकिस्तानी नागरिकों की किस्मत पाकिस्तान द्वारा उन्हें अपने नागरिक के रूप में अस्वीकार किए जाने के बाद अधर में पड़ गई है।

Updated on: 04 Feb 2018, 09:00 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी की जेल में कैद पांच पाकिस्तानी नागरिकों की किस्मत पाकिस्तान द्वारा उन्हें अपने नागरिक के रूप में अस्वीकार किए जाने के बाद अधर में पड़ गई है। 

उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी नागिरक अलग-अलग समय पर गिरफ्तार किए गए और उनपर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए। वे अपने देश वापस जाने के इच्छुक हैं, ताकि सामान्य जिंदगी बिता सकें, लेकिन पाकिस्तान ने अपनी भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों और दुनिया से अपने एजेंडे को छुपाने के मकसद से उन्हें अपना नागरिक मानने से मना कर दिया है। 

सूत्रों ने बताया कि पांच पाकिस्तानी संदिग्ध पिछले एक से लेकर पांच साल से स्वदेश भेजे जाने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि उनके परिवार के सदस्यों ने इस बात को मान लिया है कि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं। 

दिल्ली पुलिस का विभाग, विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) भी इन पांच लोगों को पाकिस्तान भेजे जाने का इंतजार कर रहा है, जिन्हें 2007 से 2015 के बीच भारत में कथित जासूसी में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 

ये सभी अपनी जेल की सजा बाहरी दिल्ली के नरेला स्थित लामपुर जेल में पूरी चुके हैं।

सूत्र के मुताबिक, 'एफआरआरओ के अधिकारियों ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग से कई बार संपर्क किया और बहुत से पत्र भेजे, जिनमें उनके नागरिकता के सबूत शामिल थे, लेकिन उन्होंने हर बार मानने से मना कर दिया। उच्चायोग ने उनकी पहचान की पुष्टि नहीं की, जिसके परिणाम स्वरूप इन पाकिस्तानी नागरिकों के पास जेल में रहने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है।'

आईएएनएस ने उनके नाम, पते और आरोपों की जानकारी जुटाई और यह पता करने की कोशिश की कि वे सभी किन आरोपों में भारत की जेल में कैद हैं। उनमें से तीन कराची से ताल्लुक रखते हैं, जबकि दो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहने वाले हैं। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, 'ये संदिग्ध जासूस थे, जो भारत में अपनी साजिश को अंजाम देने आए थे। ये सभी जासूस पाकिस्तान के आतंकी शिविरों में प्रशिक्षित हुए थे। इन्हें आईएसआई ने भारत के खिलाफ गुप्तचर कार्यों के लिए तैयार किया था।'

अधिकारी ने कहा, 'उनकी पहचान, पाकिस्तान के पंजाब निवासी मोहम्मद हसन के रूप में हुई, जिसे आठ अक्टूबर, 2012 को दिल्ली पुलिस के विशेष दस्ते ने गिरफ्तार किया था। लाहौर निवासी मोहम्मद कामिर, जिसे उत्तर प्रदेश के मेरठ में दिल्ली गेट से गिरफ्तार किया गया था। अब्दुल जफर, जिसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत 2009 में, मोहम्मद हनीम, जिसे 2012 में और मोहम्मद इद्रिस, जिसे उत्तर प्रदेश के कानपुर से गिरफ्तार किया गया था।'

अधिकारी ने कहा, 'हम उन्हें जेल से रिहा करना चाहते हैं और उन्हें पाकिस्तान भेजना चाहते हैं, क्योंकि वे अपनी जेल की सजा पूरी कर चुके हैं। लेकिन हम उन्हें भारत में नहीं छोड़ना चाहते, जिसमें खतरा है और यह प्रोटोकोल के खिलाफ है। साथ ही हम इंतजार कर रहे हैं कि पाकिस्तानी उच्चायोग उन्हें अपना नागरिक स्वीकार कर ले। वे सभी भगवान से किसी चमत्कार की प्रार्थना कर रहे हैं और जल्द से जल्द अपने परिवार के सदस्यों से मिलने का इंतजार कर रहे हैं।'

इसे भी पढ़ें: फर्जी एनकांउटर में घिरी यूपी पुलिस, 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड