पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के बीच FATF की बैठक, पाक पर मंडरा रहा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा
उन्होंने कहा कि भारत अपने यहां ऐक्टिव आतंकवादियों और उनके नेटवर्क को पाकिस्तान की तरफ से लगातार मिल रहे सपोर्ट के चलते FATF की मीटिंग में उसे डाउनग्रेड करने पर जोर दे रहा है.
नई दिल्ली:
सूत्रों ने संकेत दिया है कि भारत मीटिंग में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर जोर दे रहा है. उन्होंने कहा कि भारत अपने यहां ऐक्टिव आतंकवादियों और उनके नेटवर्क को पाकिस्तान की तरफ से लगातार मिल रहे सपोर्ट के चलते FATF की मीटिंग में उसे डाउनग्रेड करने पर जोर दे रहा है. दूसरे सूत्र ने जमात-उद-दावा के खिलाफ पाकिस्तान की तरफ से हाल ही में उठाए गए कदमों को दिखावा बताया.
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पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए FATF के 36 वोटिंग मेंबर्स में से कम से कम 15 सदस्यों के सपोर्ट जबकि ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए 3 वोट की जरूरत होगी. अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो इमरान खान की सरकार को बिगड़ते आर्थिक संकट के बीच विदेशी निवेश लाने में मुश्किल होगी.
पाकिस्तान पिछले एक साल से FATF की ग्रे लिस्ट में है और उसने FATF से पिछले साल जून में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मेकेनिज्म को मजबूत बनाने के लिए उसके साथ काम करने का वादा किया था. तब उनके बीच तय समय सीमा के अंदर 10-पॉइंट ऐक्शन प्लान पर काम करने की सहमति बनी थी. ऐक्शन प्लान में जमात-उद-दावा, फलाही-इंसानियत, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों की फंडिंग पर लगाम लगाने जैसे कदम शामिल थे.
भारत के लिए ये है चिंता
ओरलैंड में 16-21 जून तक चल रही बैठक में भारत चाहता है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए. क्योंकि लगातार पाकिस्तान को वार्निंग देने के बाद भी वह टेरर फंडिग से बाज नहीं आ रहा है. अगर वह ब्लैक लिस्ट नहीं हुआ तो जो पैसा दूसरी संस्थाओं से मिलेगा उससे पाकिस्तान केवल आतंकियों को बढ़ावा देगा.
क्योंकि उसे अपने नागरिकों के हितों की जरा भी फिक्र नहीं है. इतना ही नहीं, भारत के लिए इससे बड़ी चिंता यह है कि जुलाई में चीन को उपाध्यक्ष का पद मिल जाएगा. अगर ऐसा होता है तो वह पाकिस्तान को कभी ब्लैक लिस्ट में जाने नहीं देगा. क्योंकि इससे पहले मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में वह हमेशा अड़ंगा लगाता रहा है.
क्या है FATF
FATF दुनिया भर में आतंकियों को आर्थिक मदद पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है. यह एशिया-पैसिफिक ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाली वित्तीय लेन-देन को रोकती है. 1989 में इसका गठन मनी लांड्रिंग रोकने के लिए किया गया था. लेकिन 2001 में इसका काम बदल गया और यह आतंकियों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने लगी.
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