110 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में ED का एक्शन! MP-महाराष्ट्र के 11 ठिकानों पर छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक निजी फर्म और उसके निदेशकों के खिलाफ ₹109.87 करोड़ के कथित बैंक धोखाधड़ी मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में तलाशी ली है.
नई दिल्ली :
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक निजी फर्म और उसके निदेशकों के खिलाफ ₹109.87 करोड़ के कथित बैंक धोखाधड़ी मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में तलाशी ली है. एजेंसी ने नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े मामले में बुधवार को महाराष्ट्र के अकोला और मध्य प्रदेश के इंदौर, जौरा और मंदसौर में 11 स्थानों पर तलाशी ली है. बकौल सूत्रों तलाशी में नारायण निर्यात इंडिया समूह की कंपनियों के व्यावसायिक परिसर और कंपनियों के निदेशकों के आवास शामिल हैं. तलाशी के दौरान, विभिन्न दस्तावेज, समूह की कंपनियों के खातों की किताबें और अचल और चल संपत्तियों का विवरण मिला और जब्त कर लिया गया है...
गौरतलब है कि, ईडी ने कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज मामले के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी. एजेंसी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि, 2011 से 2013 की अवधि के दौरान, आरोपी फर्म और उसके निदेशकों ने कथित तौर पर लगभग 110.50 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधा का लाभ लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) और एक्सपोर्ट पैकिंग क्रेडिट के रूप में बैंकों के एक संघ से, जिसमें यूको बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय) और पंजाब नेशनल बैंक शामिल थे, उठाया था.
कंपनी 109.87 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रही...
ईडी के सूत्रों ने बताया कि, बैंक द्वारा जारी एलसी, विक्रेता को खरीदार के भुगतान की गारंटी देता है. हालांकि कंपनी कथित तौर पर रुपये की ऋण राशि 109.87 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रही. एजेंसी की जांच में आगे पता चला कि कंपनी ने कथित तौर पर धन का उपयोग उस उद्देश्य से नहीं किया, जिसके लिए उन्हें मंजूरी दी गई थी.
साथ ही साथ ईडी ने बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए खाते की संदिग्ध किताबें भी जमा कल ली. इसके अतिरिक्त मालूम चला कि, आरोपी फर्म ने बैंकों को धोखा दिया और किसी भी सामान का लेनदेन किए बिना, क्रेडिट सुविधा के माध्यम से प्राप्त राशि को विभिन्न सहयोगी कंपनियों में भेज दिया.
कंपनी पर अपराध की आय में शामिल होने का आरोप...
जांच में यह भी पाया गया कि बैंकों के पास गिरवी रखी गई संपत्ति का कुछ हिस्सा कथित तौर पर बैंकों को बिना किसी सूचना के तीसरे पक्ष को बेच दिया गया था. इसलिए एजेंसी के अनुसार कंपनी पर अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रियाओं में शामिल होने का आरोप है.
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