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Delhi HC ने समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने वाली याचिकाओं को टाला

दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को टाल दिया. अदालत ने कहा कि याचिकाओं के बैच की सुनवाई 24 अप्रैल, 2023 को होगी. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम की खंडपीठ को सूचित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाकर्ता के वकील सौरभ किरपाल और केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को शीर्ष अदालत में इसी तरह की राहत की मांग वाली याचिकाओं के बारे में सूचित किया.

Updated on: 06 Dec 2022, 08:57 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को टाल दिया. अदालत ने कहा कि याचिकाओं के बैच की सुनवाई 24 अप्रैल, 2023 को होगी. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम की खंडपीठ को सूचित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाकर्ता के वकील सौरभ किरपाल और केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को शीर्ष अदालत में इसी तरह की राहत की मांग वाली याचिकाओं के बारे में सूचित किया.

कृपाल ने पीठ से मामले में एक और तारीख देने का आग्रह किया. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा शादी के अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था.

विशेष विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को मान्यता देने की घोषणा के लिए हाईकोर्ट में कई समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर आठ याचिकाएं लंबित हैं. याचिकाकर्ता अभिजीत अय्यर मित्रा ने हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत ऐसे विवाहों को मान्यता देने की घोषणा की मांग करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने सहमति से समलैंगिक कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा है, इसके बावजूद समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह संभव नहीं है.

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